बाहरी दिल्ली, जागरण संवाददाता :
पानी में मौजूद क्लोराइड, फ्लोराइड व नाइट्रेट आदि रसायनों की अधिक मात्रा लोगों के लिए परेशानी का सबब बन रही है। खासकर बाहरी दिल्ली में ऐसी स्थिति के कारण लोग दांत व त्वचा रोग के साथ साथ गठिया रोग के शिकार हो रहे हैं। केंद्रीय भूजल बोर्ड द्वारा कराए गए सर्वे में भी इस बात की पुष्टि हो चुकी है। बाहरी दिल्ली स्थित हमीदपुर, कादीपुर, बुराड़ी-भलस्वा डेरी, हैदरपुर, बादली, अलीपुर, बख्तावरपुर, बवाना सहित दर्जनों गांवों व पुनर्वासित कालोनियों में पानी में उपरोक्त रसायनों की अधिक मात्रा पाई गई है। बवाना गांव निवासी दयानंद बताते हैं कि क्षेत्र के अधिकतर हिस्से में भूजल आपूर्ति होती है। इसके चलते छोटे बच्चों में दांतों के रोग बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि तीन दशक से अधिक का वक्त गुजर जाने के बाद भी जलापूर्ति की व्यवस्था ठीक नहीं हुई है। हमीदपुर निवासी जोगिंद्र मान ने कहा कि गांव को बसे सैकड़ों वर्ष गुजर गए, लेकिन गांववासियों को आज तक स्वच्छ जलापूर्ति नहीं मिल पाया। 13 वर्ष पूर्व तक यहां जलबोर्ड द्वारा जलापूर्ति की जाती थी, मगर सरकार द्वारा टयूबवेल लगाए जाने से स्थिति खराब हो गई है। कच्चे पानी के इस्तेमाल से गांव में बड़ी संख्या में लोग फ्लोरोसिस नामक बीमारी का शिकार हो रहे हैं। स्थानीय निवासी मुरारी ने बताया कि भूजल के इस्तेमाल से उनके दांतों का रंग भूरा हो गया है। कमला देवी ने कहा कि पानी घरेलू कामों में तो प्रयोग किया जा सकता है लेकिन पीने लायक नहीं हैं। ग्रामीण किरण ने कहा कि पानी के कारण गठिया रोगियों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। भलस्वा पुनर्वासित कालोनी में जलापूर्ति टयूबवेल के माध्यम से होती है। क्षेत्र के तीन से 14 आयु वर्ग के बच्चों पर दूषित जलापूर्ति का असर देखने को मिल रहा है।
Monday, May 9, 2011
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