आशुतोष झा, नई दिल्ली
उत्तरी दिल्ली के सबसे बड़े पार्को में शुमार रोशनआरा बाग जल संचयन (वॉटर हार्वेस्टिंग) की अनूठी मिसाल बनने जा रहा है। एमसीडी एक गैरसरकारी संस्था के साथ मिलकर यहां नया सिस्टम विकसित कर रही है, जिसकी मदद से पूरे पार्क और आसपास के इलाकों से बारिश का पानी पार्क की झील तक लाया जाएगा। इससे न सिर्फ इलाके में जलजमाव की समस्या खत्म होगी, बल्कि करीब 25 साल से सूखी झील पानी से लबरेज हो जाएगी। कमोबेश इस पार्क को एनडीएमसी द्वारा विकसित लोधी गॉर्डन की तर्ज पर विकसित करने की योजना है। उत्तरी दिल्ली में आजाद मार्केट के समीप स्थित इस बाग का ऐतिहासिक महत्व है। मुगल शासक शाहजहां की छोटी बेटी रोशनआरा को सन 1671 में यहीं दफनाया गया था। यहां एक स्मारक भी है, जिसे रोशनआरा बाराबेरी एंड टॉम्ब कहते हैं। 57 एकड़ के इस पार्क में 4 एकड़ में फैली एक झील भी है। एमसीडी उद्यान विभाग के निदेशक एसएस कांडपाल के मुताबिक इलाके में भूजल स्तर कम होने से यह झील करीब 25 सालों से सूखी हुई थी। गत दिनों एक गैरसरकारी संस्था ने अपने खर्च पर यहां जल संचयन सिस्टम विकसित करने का प्रस्ताव रखा था। योजना पर विचार करने के बाद संस्था के साथ मिलकर एमसीडी ने काम शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया कि झील सालों से सूखी हुई थी, जबकि पूरे पार्क और आसपास के इलाके से बारिश के दौरान पौने तीन करोड़ लीटर पानी यहां इकट्ठा कर सकते हैं। इसके लिए पार्क को अलग-अलग हिस्सों में बांटकर वहां से बारिश के पानी को साफ कर झील तक पहुंचाया जाएगा। इसके साथ आसपास के इलाकों से बारिश के पानी की निकासी वाले ड्रेन को भी झील की तरफ मोड़ दिया जाएगा। इससे पूरे साल झील में पर्याप्त पानी रहेगा और पार्क की हरियाली और खूबसूरती बरकरार रखने में मदद मिलेगी। रोशनआरा बाग में जल संचयन का काम करने वाली संस्था की निदेशक ज्योति शर्मा का कहना है कि यहां जिस तरह का सिस्टम बना रहे हैं वह दिल्ली में अपनी तरह का पहला है। अब तक जहां भी हार्वेस्टिंग सिस्टम है वहां रीचार्ज पिट बनाकर पानी को जमीन के अंदर पहुंचाया जाता है। मगर यहां पानी को साफ कर झील में डाला जाएगा। सिस्टम को विकसित करने में करीब 13 लाख रुपये का खर्च आएगा।
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