Wednesday, May 4, 2011
सर्वे में हुआ खुलासा : उद्गम के 100 किमी बाद से ही यमुना मैली (Dainik Bhaskar/Sonipat- 05 May 2011)
सहायक नदियों का पानी है अधिक स्वच्छ, राजधानी क्षेत्र में बहने वाली यमुना के पानी में तो ऑक्सीजन शून्य।
बलिराम सिंह & नई दिल्ली
दिल्ली में यमुना का प्रदूषण तो जगजाहिर है, लेकिन अब यमुना पहाड़ों में भी मैली होती जा रही है। एक ताजा सर्वे के मुताबिक जब सहायक नदियों का पानी यमुना नदी में मिलता है तब ही उसका जल स्वास्थ्य के अनुकूल होता है, यानि यमुना की अपेक्षा सहायक नदियों का पानी ज्यादा स्वच्छ है। यमुनोत्री से संगम के बीच लगभग 1400 किलोमीटर लंबी यमुना का 1000 किलोमीटर लंबा हिस्सा प्रदूषित हो चुका है और स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है।
‘लिविंग रिवर्स’ नामक पत्रिका में खुलासा किया गया है कि उद्गम स्थल, यानि यमुनोत्री से महज 100 किलोमीटर की दूरी तक ही पानी स्वास्थ्य के अनुकूल है, लेकिन इसके आगे यमुनानगर से हमीरपुर तक स्थिति काफी दयनीय है। सर्वे के अनुसार यहां यमुना ‘सिक’ यानि बीमार है। यही नहीं, यमुनानगर से ग्रेटर नोएडा के बीच 200 किलोमीटर तक और आगरा व इटावा के बीच 100 किलोमीटर तक तो यमुना मरने की कगार पर है। इस हिस्से में यमुना के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम है। खास बात यह है कि यमुनानगर से ग्रेटर नोएडा के बीच दिल्ली स्थित है और राजधानी के लगभग 22 किलोमीटर के दायरे में बहने वाली यमुना के पानी में तो ऑक्सीजन शून्य के बराबर है।
विशेषज्ञों की राय : ‘यमुना जीए अभियान’ के संयोजक और पत्रिका के एक्जिक्यूटिव डाइरेक्टर मनोज मिश्रा का कहना है कि पहाड़ों पर स्थित जंगल भी लुप्त होने के कगार पर हैं, जिसकी वजह से पहाड़ों पर स्थित झरने अथवा स्त्रोत भी समाप्त हो रहे हैं। ऐसे में पूरे साल नदी में पर्याप्त पानी नहीं होता है। इसके अलावा, इन इलाकों में तीर्थयात्रियों की संख्या बढऩे और फैक्टरियों की वजह से भी प्रदूषण बढ़ रहा है। दूसरी ओर इटावा में बटेश्वर के आगे यमुना में चंबल, बेतवा, केन इत्यादि नदियां आकर मिलती हैं।
इन नदियों का पानी काफी शुद्ध है और इसी
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