Monday, May 2, 2011

मारकंडेय नदी को प्रदूषण से बचाएगा साधु समाज (Dainik Bhaskar- 02 May 2011)




साधु सीएम के नाम डीसी को ९ को सौंपेंगे ज्ञापन, सरकार ने प्रदूषण खत्म करने के लिए कदम नहीं उठाया तो सड़क पर उतरेंगे साधु

भास्कर न्यूज & मुलाना

आस्था का प्रतीक मारकंडेय नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए अब साधु समाज आगे आया है। रविवार को मुलाना में नदी किनारे मारकंडेय मंदिर में जुटे संतो ने ऐलान किया कि प्रशासन को चेताने के लिए 9 मई को डीसी से मिलेंगे। यदि नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए कदम नहीं उठाए गए तो सड़कों पर बैठकर अन्न जल त्याग देंगे।

नागा बाबा श्याम सुंदर पूरी के नेतृत्व में एक बैठक हुई। इसमें पूरी ने कहा कि मारकंडा नदी से हजारों लोगों की आस्था जुड़ी है। श्रद्धालु गंगा के पानी के समान ही पवित्र समझते हैं, लेकिन कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए नदी को दूषित करने में लगे हुए हैं। काला अम्ब से कई फैक्टरियों का कैमिकल युक्त पानी नदी में छोड़ा जा रहा है। इसमें न केवल मारकंडा नदी दूषित हो रही है, बल्कि लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ भी किया जा रहा है। मारकंडेय मंदिर के प्रधान बाबा त्रिलोक गिरि ने कहा कि पहले जब श्रद्धालु मारकंडा नदी पर माथा टेकने के लिए आते थे, तब श्रद्धालु नदी के पानी में स्नान करने के बाद ही माथा टेकते थे। लेकिन अब आलम यह है कि नदी में स्नान तो दूर की बात, दूषित पानी में हाथ धोने से भी गुरेज करने लगे हैं। साधु समाज अब इसे बिलकुल सहन नहीं करेगा। गिरि ने कहा कि बैठक में फैसला लिया गया है कि 9 मई को भारी संख्या में साधु समाज एकत्र होकर बाबा विकास नाथ की अध्यक्षता में डीसी से मिलकर सीएम के नाम एक ज्ञापन भी सौंपेगा।

बीमारी को दावत देता है दूषित पानी : नदी में आ रहा फैक्टरियों का कैमिकल युक्त पानी जहां श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंचाने का काम कर रहा है, वहीं यह पानी बीमारी को भी दावत दे रहा है। लोगों का कहना है कि पानी का रंग काला हो चुका है। इसमें नहाने से स्किन इंफेक्शन हो जाता है। ग्रामीण कुशलपाल ने बताया कि कई गांवों के लोग मारकंडेय नदी के दूसरे किनारे पर स्थित हैं।

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