अवनीश त्यागी,
बांदा प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने शनिवार को बुंदेलखंड में आयोजित रैली में विकास को मुद्दा बनाते हुए गैर कांग्रेसी सरकारों पर शालीनता से तीर चलाए। राज्य सरकारों के राजनीतिक मतभेद छोड़ने पर जोर दिया तो केंद्र से हर संभव सहयोग देने की बात भी कही। बुंदेलखंड की प्यास बुझाने को 200 करोड़ रुपये देने की घोषणा की। झांसी में केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय की जल्द स्थापना और मेडिकल कॉलेज के उच्चीकरण का भरोसा दिया। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी भी तेवर में दिखे। बुंदेलखंड रैली सही मायनों में कांग्रेस के मिशन-2012 का आगाज रही। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुंदेलखंड विकास के लिए पहले से घोषित 73 सौ करोड़ रुपये के विशेष पैकेज के बारे में विस्तार से बताया। बसपा के गढ़ का बदलता सियासी मिजाज भांपते हुए प्रधानमंत्री ने क्षेत्र की बदहाली के लिए अंग्रेजों के शासन और गैर कांग्रेसी सरकारों को एक तराजू में तौल दिया। उनका कहना था कि अंग्रेजों के काल में वनों की अंधाधुंध कटाई ने बुंदेलखंड की धरती से हरियाली गायब कर दी और यह गौरवशाली क्षेत्र पिछड़ता गया। आज देश के सबसे पिछड़े इलाकों में बुंदेलखंड शुमार है। उन्होंने बार-बार बुंदेलखंड के सर्वांगीण विकास की प्रतिबद्धता जताते हुए कहा कि यूपीए सरकार बुंदेलखंड के सर्वागीण विकास को प्रतिबद्ध है। यूपी और एमपी की सरकारें राजनीतिक मतभेद छोड़ क्षेत्र के विकास में सहयोग करें तो हालात और अधिक तेजी से बदल सकते हैं।उन्होंने मध्यप्रदेश में लगाए जा रहे बरेठी थर्मल पावर प्लांट से बुंदेलखंड को अतिरिक्त बिजली दिलाने का आश्वासन दिया। बताया कि यूपी के लिए 300 मेगावाट आपूर्ति सुनिश्चित करा दी है। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने बुंदेलखंड की समस्याओं का समाधान न होने पर गैर कांगे्रसी सरकारों को आड़े हाथों लिया। उनका कहना था कि अधिक दूरी होने के बावजूद दिल्ली को बुंदेलखंड की आवाज सुनाई देती है, जबकि लखनऊ को कुछ सुनाई नहीं देता। क्षेत्र में छह वर्ष पूर्व शुरू किए अपने अभियान की सिलसिलेवार जानकारी दी, तो बुंदेलों के स्वाभिमान को भी जगाया।
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