सुरेंद्र प्रसाद सिंह,
नई दिल्ली सूखे की मार झेल रहे बुंदेलखंड के लोगों की समस्या के स्थायी समाधान के लिए केन-बेतवा नदी जोड़ परियोजना की घोषणा शायद ही हो पाए। जल संकट के समाधान के लिए प्रस्तावित केन बेतवा नदी जोड़ परियोजना पर्यावरण के विवादों में बुरी तरह उलझ गई है। केंद्रीय पर्यावरण राज्यमंत्री जयराम रमेश इस परियोजना के पूरी तरह विरोध में हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी शनिवार को बांदा में होंगे और जल संकट के समाधान को लेकर लोगों को ठोस घोषणा की उम्मीद रहेगी। अलबत्ता केन और बेतवा को जोड़ इस क्षेत्र में पानी लाने की योजना मुश्किलों में फंस गई है। प्रधानमंत्री की बांदा रैली के एक दिन पहले पर्यावरण मंत्री रमेश ने जागरण से बातचीत में कहा केन-बेतवा नदी जोड़ने की परियोजना पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा हो सकती है। इसलिए मैं जोर देकर कह रहा हूं कि ऐसी किसी परियोजना को पर्यावरण मंत्रालय किसी भी हाल में मंजूरी नहीं देगा। केन और बेतवा दोनों नदियां मध्य प्रदेश से निकलकर बुंदेलखंड के दोनों छोर से होती हुई उत्तर प्रदेश की सीमा क्षेत्र में यमुना नदी से मिलती हैं। दोनों नदियों को जोड़ने की परियोजना की उपयोगिता के मद्देनजर ही इसकी व्यवहार्यता रिपोर्ट भी तैयार करा ली गई है। इसके तहत केन के अतिरिक्त पानी को मोड़कर बेतवा नदी से जोड़ने का प्रस्ताव है। इस दौरान बनाए जाने वाले बांध, बैराज और नहरों के मार्फत पूरा बुंदेलखंड हरा भरा हो जाएगा। इसके तहत मकोरिया, रिछान, बरारी और केसरी नाम के चार बड़े बैराज और लंबी नहरें बनाई जानी हैं। केन-बेतवा नदी जोड़ परियोजना की प्रारंभिक लागत 1800 करोड़ आंकी गई थी, जो अब बढ़कर 9000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई
Saturday, April 30, 2011
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