Monday, April 18, 2011

मैं यमुना हूं...खतरे में है मेरा अस्तित्व! (Amar Ujala 15 April 2011)

यमुना की कहानी उसी की जुबानी, इतिहास की ढेरों यादों के साथ एक तारणहार की कर रही तलाश
प्रीत विहार। मैं यमुना हूं, सदियों से अनवरत बहती जीवनदायिनी नदी। मेरी यादें लंबी हैं, मनमोहक-मनोरंजक तो बेहद कू्रर भी। भगवान कृष्ण की लीला देखी, उनके श्रीमुख से गीता की वाणी सुनी। चंदबरदाई, गालिब, जौक, सौदा, मोमिन जैसे साहित्य व शायरी के दीवानों का भी दीदार किया। मेरी वादी में ही हिंदी जन्मी व उर्दू परवान चढ़ी। वैदिक जनों के संघर्ष और कुरुक्षेत्र के महासंग्राम की मैं साक्षी बनी, पानीपत के मैदान में तीन बार देश की किस्मत बदलते देखी। हिंदू राजाओं, सुल्तानों और मुगलिया सल्तनत के पारिवारिक षडयंत्र मेरे किनारे रचे गए। दिल्ली कितनी बार उजड़ी, कितनी बार बसी, कितने रजवाड़े उजड़े, कितनों की नींव पड़ी, साक्षी भाव से हमने सब देखा। अंग्रेजों की चूलें हिला देने वाला 1857 का स्वतंत्रता संग्राम हमारे सामने शुरू हुआ और अंग्रेजों के क्रूर पलटवार की राजदार बनी। 1947 तक का शानदार संग्राम देखा, 15 अगस्त के दिन लाल किले पर फहराता तिरंगा भी। मैं भी उल्लासित हुई।
कई बार मेरा दिल पसीजा, मैं रोई, दारा शिकोह और महात्मा गांधी की हत्या पर तो मैं चिल्लाई भी। लेकिन रुकना मेरा स्वभाव नहीं, नीला व सांवला रंग लिए मेरी धारा अविरल रही। अपनों की प्यास बुझाती, खेतों में जान डालती मैं आगे चलती गई। यमुनोत्री से इलाहाबाद तक, जहां पतित पावनी गंगा में मैं समा जाती हूं। जन मानस ने मां की तरह मेरी पूजा की, मेरे अस्तित्व पर कभी संकट नहीं आने दिया। दिल्ली, आगरा, मथुरा व इलाहाबाद जैसे दर्जनों राजनीतिक-व्यवसायिक-धार्मिक केंद्र मुझसे जीवन पाते रहे। लेकिन आज विकास का पश्चिमी नजरिया मुझे मार रहा है। राजधानी में तो मैं मृतप्राय हो गई हूं। मुझे एक बार फिर अपने तारणहार देवकीनंदन की जरूरत है। वही कालिया नाग रूपी सीवर तंत्र की फांस से मुझे छुड़ा सकता है।
विशेषज्ञ का नजरिया
आम लोगों की नदी पर सीधी निर्भरता खत्म होने के बाद उपेक्षा शुरू हुई, यानी 1911 के बाद। हमें प्राकृतिक जल स्रोतों की जगह पाइप लाइन से पानी दिया जाने लगा। अब दिल्लीवासियों को सिर्फ इससे मतलब रह गया कि उनकी पाइप लाइन ठीक रहे। इसका परिणाम यह रहा कि नदी को लेकर सरकारें जनदबाव से मुक्त हो गईं।
मनोज मिश्रा, यमुना जीए अभियान
प्रमुख सहायक नदियां
ड्
हिंडन नदी, बनास नदी, चंबल नदी, बेतवा नदी, सिंध नदी, धासन नदी, केन नदी
किनारे बसे प्रमुख शहर
ड्
करनाल, पानीपत, दिल्ली, नोएडा, मथुरा, आगरा
उद्गम से गंगा में समाहित होने तक की दूरी
1. यमुनोत्री (उद्गम) से ताजेवाला (हरियाणा) : 177 किमी
2. ताजेवाला से वजीराबाद (दिल्ली) : 224 किमी
3. वजीराबाद से ओखला (दिल्ली) : 22 किमी
4. ओखला से चंबल नदी संगम तक (यूपी) : 490 किमी
5. चंबल नदी संगम से गंगा संगम (इलाहाबाद, यूपी) : 468 किमी
कुल बहाव : 1376 किलोमीटर
दिल्ली में यमुना
दिल्ली में नदी का क्षेत्रफल : 97 वर्ग किमी (मास्टर प्लान एक)
जलक्षेत्र : 16 वर्ग किम
खादर क्षेत्र : 81 वर्ग किमी
बहाव की दूरी : 22 किमी
द् विवेक निगम

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