Monday, April 18, 2011

धरने पर बैठे साधु-संत और किसान (Amar Ujala 16 April 2011)

तीन घंटे के अल्टीमेटम में नरमी बरते हुए बढ़ाया चौबीस घंटे तक
नई दिल्ली। यमुना बचाओ को लेकर साधु-संतों और किसानों ने शुक्रवार से जंतर-मंतर पर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया। बृज रक्षिणी हरिनाम प्रचारिणी सभा और भाकियू (भानू) के बैनर तले धरने पर बैठे लोगों ने हरियाणा के हथिनी कुंड से यमुना का पानी छोड़ने को लेकर तीन घंटे का सरकार को अल्टीमेटम दिया था। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के प्रतिनिधि के रूप में ग्रामीण विकास राज्यमंत्री प्रदीप जैन के धरना स्थल पर पहुंचने और प्रदर्शनकारियों को जल्द समस्या को दूर कराने आश्वासन देने के बाद अल्टीमेटम में नरमी बरतते हुए इसे चौबीस घंटे कर दिया है। जब तक मांगे पूरी नहीं हो जाती। साधु-संतों ने जंतर मंतर पर डटे रहने का निर्णय लिया है।
धरने के पहले दिन उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी, मैग्सेसे अवार्ड प्राप्त राजेंद्र सिंह, पर्यावरणविद् दर्शन सिंह यादव, आगरा के सांसद रामाशंकर कठेरिया, विधायक प्रदीप माथुर, उमापीठाधीश्वर रामादेवानंद सरस्वती, बृज रक्षिणी हरिनाम प्रचारिणी सभा के राष्ट्रीय संरक्षक संत जयकृष्ण दास बरसाना, भाकियू भानू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानू प्रताप सिंह समेत दर्जनों साधु-संतों ने यमुना बचाओ मुहिम का भरपूर समर्थन किया। इस मौके पर रीता बहुगुणा ने कहा कि जो काम मैं नहीं कर सकी, वह साधु-संतों व किसानों ने कर दिखाया है। उन्होंने इस पदयात्रा में शामिल नहीं होने पर खेद जताया। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का कहना है कि इस अभियान को सार्थक बनाना है। उन्होंने यमुना कार्य योजना में गड़बड़ी की बात स्वीकारी और कहा कि बीच में जो सरकारें आई हैं, वे इसके लिए वे जिम्मेदार हैं। राजीव गांधी के समय भी गंगा एक्शन प्लान पर बेहतरीन काम हुआ था। यमुना प्रदूषित रहेगी तो आत्मा भी शुद्ध नहीं रहेगी। वहीं, रीता बहुगुणा के भाषण के दौरान कुछ लोगों के हूट करने पर उन्होंने कहा कि यह गुस्सा व्यवस्था के खिलाफ है और मैं पूरी दृढ़ता से साधु-संतों और किसानों के साथ खड़ी हूं। इसे लेकर पार्टी नेतृत्व से बात करेंगी ताकि प्रधानमंत्री सभी संबंधित मुख्यमंत्रियों को बुलाकर समस्या का समाधान कराएं। राजेंद्र सिंह ने कहा कि धरने का समर्थन करते हुए कहा कि यमुना लगातार मैली होती जा रही है।
यमुना का प्रदूषण का सीधा असर मानव जीवन पर पड़ेगा।
यमुना की कहानी, यमुना की जुबानी-2
दिल्ली ने लिया बहुत पर दी सिर्फ पीड़ा...
पूर्वी दिल्ली। मैं यमुना हूं। राजधानी की जीवन रेखा, मैं मिट रही हूं। मैं मृतप्राय हो गई हूं। फिर भी, नहीं कहूंगी कि मेरे न होने से दिल्ली उजड़ जाएगी। यह मेरा बड़बोलापन होगा। हां, मैं आपके सामने एक तस्वीर जरूर बनाऊंगी। वह भी ऐसी, जिसमें मेरे और दिल्ली के बीच का रिश्ता दिखे। मैं दिखाऊंगी, दिल्ली मुझसे कितना ले रही है। लेकिन, मुझे क्या मिल रहा है। यह जरूरी है। इसलिए नहीं कि मैं पेशेवर हो गई हूं। यह सोचना भी मेरे लिए गुनाह होगा। जरूरत है तो इसलिए कि समाज और सरकारें बाजार की जुबान बोल रही हैं। उनकी समझ में भी यही भाषा आती है। रिश्तों का आधार, उपयोगिता और भविष्य भी बाजारू होता जा रहा है।
लेनदेन को मैं एकतरफा कहूंगी, अपने लिए घाटे का सौदा। दिल्ली ने लिया बहुत, लेकिन दी मुझे पीड़ा। लेना तो हथिनीकुंड बैराज से शुरू कर दिया। नहर और बांध बनाकर मेरे पानी से प्यास बुझाई। चंद्रावल, वजीराबाद और हैदरपुर जल संयंत्र मुझ पर निर्भर हैं। फिर भूजल स्तर का उतार-चढ़ाव भी हमसे जुड़ा है। इन सबसे दिल्ली अपनी जरूरत का 80 फीसदी पीने का पानी मुझसे निकालती रही है। बदले में दिल्ली मुझे दिया क्या? अनगिनत नालों से लाखों टन कचरा और हमारे अंदर खड़ी होती इमारतें। इससे मेरा दम घुटने लगा है, बेचैन हूं, आखिरी सांस की तरफ बढ़ती हुई मैं छटपटा रही हूं। फिर भी मैं नहीं कहूंगी कि मेरे बाद दिल्ली का क्या होगा? यह फैसला तुम पर छोड़ती हूं। सोचिए, हमारी कुछ अहमियत है भी या नहीं।
सोनिया गांधी के प्रतिनिधि के रूप में पहुंचे ग्रामीण विकास राज्य मंत्री
आगरा से आया मुसलिम समाज
आगरा से मुस्लिम समाज के लोग भी जंतर-मंतर पहुंचे। भारतीय मुसलिम विकास परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष समी अगाई के नेतृत्व में मुसलिम समाज के लोग यहां पहुंचे। मुसलिम समाज के लोगों ने बताया कि यमुना जीवन दायिनी है और जब तक अविरल-निर्मल यमुना में पानी नहीं छोड़ा जाता है, जब तक वे यमुना के रक्षार्थ आंदोलन करेंगे।
लाल बाबा ने सौंपा 151 पेज का ज्ञापन
इलाहाबाद से दिल्ली पदयात्रा कर पहुंचे लाल बाबा ने केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री प्रदीप जैन को एक ज्ञापन सौंपा। 151 पेज के ज्ञापन में उन्होंने शीघ्र यमुना में पानी छोड़ने की मांग सरकार से की है। इस मौके पर लाल बाबा ने मंच से कहा कि राजनेताओं पर उनको विश्वास नहीं है, लेकिन उसके बावजूद भी वे यमुना बचाओ की मांग करते रहेंगे।
यमुना पर निर्भर प्लांट
चंद्रावल एक और दो : 90 एमजीडी
वजीराबाद ए दो और तीन : 120 एमजीडी
हैदरपुर दो : 100 एमजीडी
रैनी वेल और टूबवेल : 100 एमजीडी
स्रोत : स्टेट ऑफ इनवायरमेंट रिपोर्ट-2010, दिल्ली सरकार
सिकुड़ता क्षेत्रफल
दिल्ली में नदी का क्षेत्रफल : करीब 97 वर्ग किमी
जल क्षेत्र: 16 वर्ग किमी
नदी का खादर क्षेत्र: 81 वर्ग किमी
निर्माण से सिकुड़ता क्षेत्र: 63 वर्ग किमी
(स्रोत: तपस)
नई दिल्ली। जंतर मंतर पर यमुना बचाओ मुहिम को सफल बनाने के लिए उत्तर प्रदेश के विभिन्न भागों से आए किसानों ने जंतर-मंतर पर हुक्का-पानी लेकर डेरा डाल दिया है तो बृज से आए लोग अपने साथ भांग लेकर आए हैं जो यहां सिल बट्टे पर घुट रही है। धरने के पहले दिन गाजीपुर, बलिया, बनारस, मिर्जापुर, इलाहाबाद, भदोही, कानपुर, आगरा, कनौज, बाराबंकी, लखनऊ, मुरादाबाद, बिजनौर, बुलंदशहर, अलीगढ़, मथुरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, हमीरपुर, महोबा, झांसी, बांदा, जौनपुर समेत उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों के किसान पहुंचे। जबकि अन्य इलाकों से धरने में भाग लेने वाले किसान, साधु-संत व लोगों ने कूच कर दिया है। आने वाले दिनों में यमुना समर्थकों की तादाद हजार से लाखों में बढ़ने वाली है। ब्रज रक्षिणी हरिनाम प्रचारिणी सभा और भाकियू भानू ने यूपी सहित देश के विभिन्न भागों में रहने वाले लोगों को यह संदेश भिजवाया है कि वे तुरंत यमुना बचाओ मुहिम को सफल बनाने के लिए जंतर-मंतर पहुंचे।
जंतर मंतर पर किसान घोट रहे हैं भांग
यमुना पर सवाल सरकारी सोच का है। नदी संरक्षण के मुद्दे पर डीडीए, एमसीडी जैसी सरकारी एजेंसियां हाथ खड़ा कर देती हैं, जबकि फायदे लेने के लिए सबसे आगे खड़ी दिखती हैं। इसी का परिणाम है कि नदी क्षेत्र में कंक्रीट का जंगल पनपता जा रहा है। - वीके जैन, अध्यक्ष, तपस
जंतर-मंतर पर साधु-संतों के साथ मौजूद रीता बहुगुणा जोशी।

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