नई दिल्ली, जागरण संवाददाता :
हथिनी कुंड बैराज से यमुना में प्रतिदिन 11 क्यूसेक पानी छोड़ने के दावे की स्थानीय लोगों ने पोल खोल दी है। लोगों के मुताबिक, प्रतिनिधिमंडल को दिखाने के लिए बुधवार को बैराज से पानी छोड़ा गया। वहीं आम दिनों में वहां नदी सूखी रहती है और वे इसे पार करने के लिए नाव की बजाए बाइक का प्रयोग करते हैं। पानी छोड़े जाने की जांच के लिए ताजेवाला पहुंचे संतों ने ग्रामीणों के इस खुलासे के बाद नाराजगी जताई है। उन्होंने सरकार पर अपने साथ छल करने का आरोप लगाया है। संत समाज का कहना है कि यमुना में पानी छोड़ा गया, लेकिन महज दिखावे के लिए। बैराज में जलस्तर पर्याप्त है, फिर भी यमुना में पानी नहीं छोड़ा जा रहा है। सरकार के इस रवैये से नाराज संतों ने पहली मई को प्रस्तावित महापंचायत और आंदोलन को तेज करने की घोषणा की है। विदित हो कि यमुना में पानी छोड़ने के लिए इलाहाबाद से पदयात्रा कर हजारों संत गत 14 अप्रैल को जंतर-मंतर पहुंचे और अपनी मांगों के समर्थन में आमरण अनशन की घोषणा की। कई दिनों तक चले आमरण अनशन को तुड़वाने के लिए केंद्र सरकार ने एक कमेटी गठित करने की घोषणा की। इसमें केंद्रीय जल बोर्ड सहित अन्य विभागों के अधिकारियों को शामिल किया गया। लेकिन अनशन समाप्त होने के बाद से ही कमेटी द्वारा मामले में हीलाहवाली की जाने लगी और इसे टालने का प्रयास किया जाने लगा। कमेटी के इस रूख पर नाराजगी जताते हुए संतों ने बीते सोमवार को आंदोलन तेज करने की धमकी दी तो अगले ही दिन मंगलवार को उन्हें वार्ता के लिए आमंत्रित कर हथिनी कुंड से पानी छोड़े जाने की बात बताई गई। यही नहीं, विश्वास न होने की दशा में संतों को खुद वहां भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने का प्रस्ताव दिया गया। प्रस्ताव के बाद बुधवार को कमेटी के साथ हथिनी कुंड पहुंचे संतों व किसानों के प्रतिनिधियों ने भी देखा कि वहां से पर्याप्त मात्रा में पानी छोड़ा जा रहा है। खुशी-खुशी प्रतिनिधिमंडल राजधानी लौट रहा था। इस बीच प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात स्थानीय लोगों से हो गई और उन्होंने पूरे मामले की पोल खोल दी। ग्रामीणों ने बताया कि आम दिनों में नदी सूखी रहती है और लोग इसे पार करने के लिए नाव की बजाए बाइक का इस्तेमाल करते हैं। ग्रामीणों से सत्यता जान प्रतिनिधिमंडल हैरान रह गया। कमेटी की हरकत से नाराज संतों ने सरकार पर छल का आरोप लगाते हुए पहली मई को महापंचायत करने और आंदोलन तेज करने की घोषणा की। यात्रा व धरने के संयोजक स्वामी जयकृष्ण दास ने बताया कि सरकार ने उनके साथ छल किया है और इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ेगा। भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भानू प्रताप सिंह के मुताबिक, पहली मई तक यदि मथुरा तक यमुना में पानी नहीं पहुंचा तो राजधानी में विशाल प्रदर्शन किया जाएगा। राधाकृष्ण शास्त्री के मुताबिक, सरकार बार-बार छल कर यह जता रही है कि कहीं न कहीं अवश्य ही भारी घोटाला है
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