Thursday, April 14, 2011
तीन चरणों की निगरानी के बाद भी गंदा पानी! (Dainik Jagran 14 April 2011)
दिल्ली जल बोर्ड के अनुसार जल संयंत्र से लेकर घरों में पहुंचने तक पानी की जांच तीन चरणों में होती है। तीनों चरणों की रिपोर्ट लगभग समान होती है तब भी लोगों घरों में नल से कीटाणु और वायरस वाला गंदा पानी क्यों गिरता है? यह सवाल अभी लोगों की जुबान पर है। जवाब, जल बोर्ड के सीईओ रमेश नेगी देते हैं। बताते हैं कि लोगों को भी कुछ लाइन (सर्विस पाइप) बदलना चाहिए, जो 15 वर्ष से ज्यादा पुरानी है। लेकिन, दिल्ली के एक आम निवासी आलोक वर्मा को यह समझ में नहीं आता कि लोग तो अपनी सर्विस लाइन को 15 वर्ष में बदल देंगे, लेकिन दिल्ली जल बोर्ड क्या 30-40 साल पुरानी लाइन भी नहीं बदलेगा? दरअसल, जल बोर्ड के तमाम दावों की आम जनता सिरे से खारिज करती है। जल बोर्ड की रिपोर्ट जल संयंत्र से पानी शोधित होकर पहले यूजीआर में जाता है। वहां से डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क के जरिये लोगों के घरों को जोड़ती सर्विस लाइन द्वारा घरों तक पहुंचता है। इस बीच तीन स्तर पर पानी के सैंपल लिये जाते हैं। वितरण नेटवर्क में ये सुनिश्चित किया जाता है कि क्लोरीन की मात्रा कम से कम प्वाइंट 2 पीपीएम होनी चाहिए। हर हाल में क्लोरीन की मात्रा मिलनी चाहिए। जहां ये चीज नहीं मिलती, वहां तुरंत पता चल जाता है कि रास्ते में कहीं न कहीं प्रदूषित पानी मिल गया है। इसके लिए औसतन रोजाना 300 सैंपल लिये जाते हैं। बीते 3 महीने में समूचे वितरण नेटवर्क से करीब 42,693 सैंपल लिए गए थे। जिसमें से 0.6 फीसदी गड़बड़ी पाई गई। हालांकि, ये मात्रा भी विश्व स्वाथ्स्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के हिसाब से ठीक है। जल बोर्ड के सेक्रेटरी डॉ. बिपिन बिहारी के मुताबिक समूचे डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क पर प्रतिदिन निगरानी रखी जाती है। अगर, जरा भी गुणवत्ता में कमी मिलती है तो तुरंत उसमें सुधार किया जाता है। क्या कहता है जल बोर्ड दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ रमेश नेगी के मुताबिक पानी दूषित होने की अहम वजह यह है कि लोग ऑनलाइन बूस्टर का इस्तेमाल करते हैं और सर्विस पाइप लाइन बहुत पुरानी हो चुकी हैं। इसी वजह से नाले में बहने वाली गंदगी पीने के पानी में आ जाती है। नियम के मुताबिक, सर्विस पाइप लाइन बदलने की जिम्मेदारी उपभोक्ता की होती है, जिसे हर हाल में 15 वर्ष में बदल देना चाहिए। उनके मुताबिक बोर्ड अब लोगों को नोटिस भेजेगा कि वह अपनी पुरानी सर्विस लाइन बदलें और ऑनलाइन बूस्टर का इस्तेमाल पानी आने पर ही करें। हालांकि, जल बोर्ड ने ये फैसला भी किया है कि वह खुद ही सर्विस पाइप लाइन भी बदलेगा। इसके लिए लोगों से 500-600 रुपये लिये जाएंगे। बाकी खर्च बोर्ड उठाएगा। हर रोज पानी दूषित होने की 50-60 शिकायतें आती हैं। 12 हजार किलोमीटर के पानी के नेटवर्क में यह सामान्य बात है। क्या कहती है जनता सोनिया विहार के आशुतोष शुक्ला, खुशबू, जयशंकर, श्रीराम कॉलोनी के आनंद त्रिवेदी, भजनपुरा के केशव, उदयानंद डंगवाल, वेस्ट गुरू अंगदनगर कॉलोनी के अविनाशचंद्र, चंद्र विहार आइपी एक्सटेंशन के सुकांत मेहता, पूनम, अंजलि की मानें तो पानी इतना खराब एवं प्रदूषित आ रहा है कि लोगों का विश्वास जल बोर्ड से उठता जा रहा है। हर व्यक्ति आरओ भी नहीं लगा सकता। लिहाजा मजबूरी में लोगों को यही पानी छानकर या उबालकर पीना पड़ता है।
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