यमुना बचाओ महापंचायत में किसान-संत आज जमा होकर जंतर-मंतर पर धरना शुरु करेंगे
हथिनी कुंड से पानी छोड़ो वरना डटे रहेंगे
यमुना बचाओ पदयात्रा ने डाला जंतर-मंतर पर डेरा
तीन घंटे की महापंचायत का अल्टीमेटम सरकार को दिया
‘जरूरत पड़ी तो प्राण दे देंगे’
क्या हैं यमुना बचाओ महापंचायत की पांच मांगें
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अमर उजाला ब्यूरो
नई दिल्ली। यमुना को प्रदूषण मुक्त कराने के लिए इलाहाबाद से पदयात्रा कर दिल्ली पहुंचे साधु-संत और किसानों ने बृहस्पतिवार दोपहर जंतर-मंतर पर डेरा जमा लिया है। उनका कहना है कि जब तक हरियाणा के हथिनी कुंड से यमुना का पर्याप्त पानी नहीं छोड़ा जाएगा, तब तक वे यहीं डटे रहेंगे।
ब्रज रक्षिणी हरिनाम प्रचारिणी सभा और भारतीय किसान यूनियन (भानू) के संयुक्त तत्वावधान में आए आंदोलनकारियों ने कहा कि 45 दिन की पदयात्रा की है। शुक्रवार यूपी के यमुना किनारे वाले तमाम जिले, बिहार, बंगाल के संत और किसान दोपहर को महापंचायत कर करेंगे। तीन घंटे की महापंचायत का अल्टीमेटम सरकार को दिया गया है। मांगे नहीं मानी तो महापंचायत के फैसले और जनसमर्थन के आधार पर आगे की कार्रवाई का फैसला करेंगे। भाकियू (भानू) के अध्यक्ष भानू प्रताप सिंह और संरक्षक जयकृष्ण दास ने बताया कि यमुना बचाओ महापंचायत में किसान और संत आज जंतर-मंतर पर एकत्रित होकर धरना देंगे। बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू किया जाएगा। बिहार के बक्सर, उत्तर प्रदेश के बलिया, गोरखपुर, इलाहाबाद, मिर्जापुर, वृंदावन समेत देश के विभिन्न राज्यों से साधु-संत और किसान भाग लेने आ रहे हैं। समर्थन में इलाहाबाद भ्रमण करके लाल बाबा दिल्ली पहुंचे हैं। शुक्रवार को आयोजित महापंचायत में वे शिरकत करेंगे। हालांकि, जंतर मंतर पर ब्रज रक्षिणी हरिनाम प्रचारणी सभा और भाकियू (भानू) के संयुक्त तत्वावधान में चौबीस घंटे का हरिनाम कीर्तन शुरू हो गया है। इसके जरिये लोगों को जागरूक करने का काम किया जा रहा है।
1. गंगा नदी के साथ यमुना को भी राष्ट्रीय नदी घोषित किया जाए।
2. यमुना किनारे बसे शहरों के गंदे पानी के लिए अलग नहर बनाई जाए। गंदे पानी को साफ करके किसानों व उद्योग में इस्तेमाल को सप्लाई हो।
3. 2000 करोड़ रुपये खर्च के बावजूद यमुना में गंदगी बढ़ी है। इसकी सीबीआई या विशेष समिति बनाकर जांच कराई जाए।
4. अब जो 1700 करोड़ रुपये सफाई पर खर्च होने हैं, उसकी निगरानी के लिए विशेष समिति बनाई जाए, ताकि पैसा पानी में न बहे और नदी साफ हो।
5. हरियाणा के हथिनी कुंड से यमुना के पानी का प्रवाह सुचारु रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में जल छोड़ा जाए ताकि संगम तक यमुनोत्री का पानी पहुंच सके।
नई दिल्ली। यमुना बचाओ महापंचायत में शामिल संत-किसान चाहते हैं कि जब यमुना नदी में हाथ डालें तो हाथ में साफ पानी आए, न की रेत। जरूरत पड़ी तो प्राण दे देंगे लेकिन पानी लेकर जाएंगे। रिजनेताओं को किसान व संत अक्ल सिखाने आए हैं कि नदियों के प्रवाह को जारी रहने दीजिए और गंदगी को रोकिए। राष्ट्रगान में यमुना नदी का गुणगान करते हैं तो उसे बचाने की जिम्मेदारी भी हमारी है। यमुना बचाने के लिए महापंचायत करने आए किसान नेताओं व संतों ने यह उद्गार बृहस्पतिवार को व्यक्त किए। प्रेस क्लब में यमुना बचाओ पदयात्रा के भारतीय किसान यूनियन (भानू) और ब्रज रक्षिणी हरिनाम प्रचारिणी सभा के राष्ट्रीय संरक्षक संत जयकृष्ण दास बरसाना, भाकियू भानू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठा. भानु प्रताप सिंह, सुनील सिंह, राजेंद्र प्रसाद शास्त्री और राधा जीवन पोद्दार ने ऐतिहासिक पदयात्रा की चर्चा की। सभा के राष्ट्रीय संरक्षक संत जयकृष्ण दास बरसाना ने कहा कि यमुना लगातार मैली होती जा रही है। इसके प्रदूषित जल से अभी तक करोड़ों जलचरों की मौत जहरीले पानी से हो गई है। आज आवश्यकता है यमुना में पर्याप्त मात्रा में पानी प्रवाहित करने की, ताकि यमुना में पानी की जगह केवल रेत नहीं दिखाई दे। जब तक हरियाणा के हथिनीकुंड से यमुना में पर्याप्त पानी नहीं छोड़ा जाएगा यह आंदोलन खत्म नहीं होगा। लगातार हो रही यमुना के लिए उन्होंने सरकार को जिम्मेवार ठहराते हुए कहा कि यमुना कार्य योजना पर खर्च हुए करोड़ों रुपये की सीबीआई जांच होनी चाहिए।
जंतर-मंतर पर भजन-कीर्तन से यमुना बचाओ का नारा बुलंद करते लोग।
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