Thursday, April 26, 2012
पाताल में पहुंचे डीएम के ताल (Dainik Jagran 27 April 2012)
आगरा, जागरण संवाददाता: धरती के आंचल को पानी से लबरेज करने की जिला प्रशासन की कोशिश सिसक-सिसक कर आठ साल से दम तोड़ रही है। भूगर्भ जल स्तर को ऊपर लाने के लिए वर्ष 2003 में तत्कालीन डीएम नीतीश्वर कुमार ने आकाश का जल ताल में, ताल का जल पाताल में योजना के तहत तालाब खुदाई अभियान चलाया था। परंतु अधिकारियों की उदासीनता से अब ज्यादातर तालाब सूखे गढ्डों में तब्दील हो चुके हैं, शेष पर अवैध कब्जों की मार है। कुछ बचे हैं तो वहां उन्हें भरने का कोई इंतजाम नहीं। अछनेरा योजना के तहत ब्लाक अछनेरा के कुकथला में तो तालाब की खुदाई ही नहीं कराई गई। गांव के ओमेंद्र सिंह, चौ. दिलीप सिंह ने बताया कि उस वक्त नहर का पानी भरने के कारण खुदाई नहीं हुई थी। बाद में जरा सा गड्ढा खोद काम पूरा कर दिया गया। जबकि पुरामना की जाटव बस्ती स्थित तालाब का तो वजूद ही खत्म होने के कगार पर है। यहां तालाब पर ग्रामीणों का कब्जा है। बचा हुआ हिस्सा कूड़ा करकट से अटा पड़ा है। इसके अलावा सींगना स्थित सिगलीगर बस्ती, अरुआ खास, सांधन और रसूलपुर के तालाब भी अधिकारियों की उपेक्षा की कहानी कह रहे हैं। इनमें सांधन, सींगना और अरुआ खास के तालाबों की देखरेख का जिम्मा ग्राम पंचायतों को सौंपा गया था। परंतु ग्राम पंचायतों ने इन्हें अनदेखा कर दिया, तालाब सूखे पड़े हैं। फतेहाबाद ब्लाक फतेहाबाद में ग्राम पंचायत धिमिश्री के तालाब पर, उस समय 63 हजार 394 रुपये का खर्च दिखाया गया था। जबकि ग्रामीणों के मुताबिक तालाब तो खोदा ही नहीं गया। यहां रेलवे ठेकेदार ने मिट्टी निकालने के लिए खुदाई कराई थी। उसी को तालाब दर्शाते हुए खर्च दिखा दिया गया। बाद में एक छोटा सा गड्ढा खोदकर काम पूरा दर्शा दिया। जगराजपुर, रूपपुर, गढ़ी उदयराज, प्रतापपुरा, बेगनपुर, खण्डेर, डाक्टरपुरा और हिमायूंपुर गुर्जर में भी तब तालाब खुदाई पर हजारों रुपये खर्च किए गए थे। परंतु यहां मात्र गड्ढे ही खोदे गए और पानी भरने की कोई व्यवस्था अब तक नहीं हुई। प्रतापपुरा के शांतिलाल शर्मा, जगराज के शैलेष ने बताया कि तालाबों की कोई देखभाल नहीं होती। शमसाबाद ब्लाक शमसाबाद में भी कमोबेश यही स्थिति है। यहां ग्राम पंचायत हिरनेर के उपग्राम गढ़ी जहान सिंह, गुलबापुरा, ठेरही के उप ग्राम मोहनलाल की गढ़ी, कोटरे का पुरा, जयनगर, चितौरा और सूरजमल का पुरा में भी तालाबों की खुदाई कराई गई थी। परंतु सूत्रों के मुताबिक इन जगहों पर खुदाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही हुई। हालांकि बीते कुछ साल इनमें से कुछ तालाबों का हाल सुधारा गया परंतु पानी भरने की व्यवस्था नहीं हुई।
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