Wednesday, April 18, 2012

गंगा ने फैलाई बाहें, जुड़ें घाट से सारी राहें (Dainik Jagran 17 April 2012)

अविरल-निर्मल गंगा अभियान
-निजी स्कूल प्रबंधकों ने शिक्षण संस्थानों को बंद रखने का किया एलान
-विभिन्न धर्मो के गुरुओं ने भी की जन भागीदारी की अपील
-भीड़ बढ़ने पर स्नानार्थियों को उस पार पहुंचाएंगे नाविक
वाराणसी, संवाददाता : प्रदूषण की पीड़ा और पानी की कमी से कराहती गंगा नें बाहें फैलाकर अपने बेटों को आवाज दी है। इस भरोसे से कि मंगलवार को नगर की सारी राहें गंगा तट से जुडें़ और उन राहों से होकर गंगा के घाटों तक पहुंची पूरी काशी गंगा की गोद में डुबकी लगा कर एक स्वर में संकल्प ले कि- बस अब और नहीं! मां तेरे उद्धार के लिए तेरे बेटे आज से संकल्पबद्ध हुए। गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए प्रस्तावित नूतन स्नान पर्व गंगा महाकुंभ की पूर्व संध्या पर गंगा तट तक पहुंचे हर काशीवासी ने कुछ ऐसा ही भाव मन में घुमड़ता महसूस किया। ऐसे ही कोमल भावों से प्रेरित काशी के नागरिक मंगलवार को गंगा तट तक जाएंगे और अपने तमाम संचित पुण्य गंगा को समर्पित कर उसकी धारा में डुबकी लगाएंगे। विशेष अवसर पर उनकी हर डुबकी गंगा के नाम होगी। इस दौरान अस्सी से लगायत आदिकेशव घाट जहां नगर की गंगा-जमुनी तहजीब की बानगी पेश करते नजर आएंगे। वहीं सभी चौरासी घाट काशी और गंगा के बीच जन्म-जन्मांतर के जज्बाती रिश्तों के भी साक्षी बनेंगे। महाकुंभ की पूर्व संध्या पर आलम यह कि नगर के विभिन्न धर्मो व सामाजिक सरोकारों से जुड़ा शायद ही कोई संगठन ऐसा बचा हो जिसने अपने-अपने स्तर से अपील जारी कर गंगा महाकुंभ में स्नान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित न की हो। यहां तक कि गंगा के सवाल पर काशी की नारी शक्ति भी गंगा चेतना यात्रा के माध्यम से आज सड़कों पर थी। अधिवक्ता समाज के दोनों प्रमुख संगठनों ने जहां गंगा स्नान के बाद ही न्यायालय का कार्य शुरू करने का फैसला किया तो उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ और राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने नगर के सभी शिक्षण संस्थानों को बंदकर गंगा महाकुंभ में हिस्सा लेने की घोषणा की है। बनारस बंद का भी आह्वान किया गया है। मांझी समाज ने स्नानार्थियों की सुविधा के लिए विभिन्न घाटों पर सुरक्षा के सभी संसाधनों के साथ तैनात रहने की घोषणा की है। हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई आदि सभी धर्मो के धर्माचार्यो ने भी एलान किया है कि महांकुंभ मजहबी दायरों से मुक्त होगा और सभी धर्म संप्रदायों के लोग गंगा की खातिर गंगा में डुबकी लगाएंगे। विभिन्न धार्मिक व सामाजिक संगठनों की ओर से नगर में सरकार की बुद्धि-शुद्धि के लिए हवन-पूजन का क्रम आज भी जारी रहा तो जगह-जगह बैठक कर गंगा सेवा अभियान में पूरी हिस्सेदारी सुनिश्चित करने का संकल्प भी लिया गया। गंगा को लेकर साधु-संतों में व्याप्त क्षोभ का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि महाश्मशान नाथ मंदिर के अर्चक बाबा नागनाथ व चौधरी परिवार के बेटू जी, मौं मन्केश्वरी गंगा सेवा समिति के संस्थापक बच्चा यादव सहित काफी संख्या में लोगों ने उपवास किया और गंगा की अविरलता सुनिश्चित किये जाने की मांग की। सरकार को झकझोरने के लिए बाबा नागनाथ तो एक चिता पर भी जा बैठे लेकिन चौधरियों ने जीवित व्यक्ति को अग्नि देने से इंकार कर दिया। उधर हरसेवानंद स्कूल के बच्चों ने स्नान पर्व की पूर्व संध्या पर गढ़वा घाट पर विशाल मानव श्रृंखला बना कर लोगों से महाकुंभ में अधिकाधिक भागीदारी की अपील की।
इधर, अविछिन्न गंगा सेवा अभियानम् की बैठक में नगर व आसपास के ग्रामीण इलाकों से उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए गंगा भक्तों को अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी गई। तय किया गया कि घाटों पर भीड़ का दबाव बढ़ने पर नाविक समाज स्नानार्थियों को उस पार पहुंचाने का काम करेंगे। प्रमुख रूप से अस्सी, केदारघाट, राजेंद्रप्रसाद घाट, दशाश्वमेध घाट और शीतला घाट पर सुरक्षा के भी चौकस बंदोबस्त का निर्णय किया गया। बताया गया कि इस पर निगरानी रखने का काम अभियानम् से जुड़े गंगा भक्त करेंगे। अभियानम् के प्रदेश समन्वयक राकेशचंद्र पाण्डेय ने बताया कि सिर्फ शंकराचार्य घाट पर पूर्वाह्न नौ बजे साध्वी पूर्णाम्बा द्वारा आयोजित धार्मिक अनुष्ठान के बाद स्नान का क्रम शुरू हो जायेगा।
बाक्स..
अभियान क्या और क्यों
-दिन : 17 अप्रैल मंगलवार
-समय : सुबह सात से पूर्वाह्न 11 बजे
-मकसद : गंगा की अविरलता निर्मलता के लिए गंगा महाकुंभ का स्नान
-आयोजक : अविछिन्न गंगा सेवा अभियानम्
-स्थान : अस्सी से आदिकेशव घाट।

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