शामली (प्रबुद्धनगर)। पतित पावनी गंगा को निर्मल करने को संत समाज आंदोलन चल रहा है, वहीं यमुना नदी की दुर्दशा पर जन समुदाय से लेकर शासन-प्रशासन चुप्प है, जबकि 1376 किमी यमुना नदी कई स्थानों पर मृतप्राय व बीमार हो गई है।
नदी स्वास्थ्य सूचकांक के शोध में यमुना नदी की दुर्दशा सामने आई है। कैराना में यमुना नदी में आए दिन हरियाणा प्रांत की औद्योगिक इकाइयों का गंदा पानी आ रहा है। कई स्थानों पर तो यमुना अब सिर्फ बरसाती नदी बनकर रह गई है।
गंगा बचाओ आंदोलन को लेकर आंदोलन तेज है। वहीं यमुना नदी पर अभी तक किसी का ध्यान नहीं आ रहा है, जबकि यमुना की दुर्दशा गंगा से कहीं ज्यादा है। फैक्ट्रियों का गंदा पानी यमुना को प्रदूषित कर रहा है। आए दिन यूपी-हरियाणा बार्डर पर कैराना में यमुना में प्रदूषित पानी आ रहा है। पीस इंस्ट्टीयूट चैरेटिबल ट्रस्ट मयूर विहार दिल्ली ने दो साल तक सामुदायिक यमुना नदी के स्वास्थ्य सूचकांक पर शोध किया है।
शोध के मुताबिक यमनोत्री से लेकर इलाहाबाद तक यमुना नदी की कुल लंबाई 1376 किमी है। यमनोत्री से डाकपत्थर (उत्तराखंड) तक मात्र करीब डेढ़ सौ किमी तक यमुना की हालत सही है। इसके बाद कई स्थानों पर तो यमुना की हालत काफी दयनीय है। रिपोर्ट के मुताबिक यमुना से सोनीपत तक पानी कम होने से यमुना यहां बरसाती नदी बनकर रह गई है। दिल्ली से इटावा, यमुनानगर, कैराना आदि स्थानों पर औद्योगिक इकाईयों के नाले का पानी यमुना में गिर रहा है। जिसकी वजह से यमुना बीमार हालत में है।
संस्था के योजना सहायक भीम ने बताया कि पहाड़ों से निकलने वाली यमुना नदी मैदानी क्षेत्र में आते ही प्रदूषण की चपेट में आ जाती है। इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा, जो भविष्य में नदी के अस्तित्व के लिए खतरे की घंटी है।
14 स्थानों पर मित्र मंडली बनाई
संस्था ने यमुना की दुर्दशा को देखते हुए 14 स्थानों पर समिति बनायी है। समिति स्नान घाट आदि स्थानों पर यमुना को साफ करने को समय-समय पर कदम उठा रही है। समिति के पदाधिकारी आमजन को यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के लिए जागरूक करते हैं।
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