Thursday, April 26, 2012
आईटीबीपी ने शुरू की स्वच्छ गंगा मुहिम (Amar Ujala 27 April 2012)
वाराणसी। भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने अपनी स्थापना की गोल्डेन जुबली मनाने के लिए गंगा स्वच्छता के प्रति जागरूकता के लिए मुहिम शुरू की है। इसके तहत 25 मई को आईटीबीपी का बेड़ा बनारस आएगा। टीम में शामिल लोग हर 50 किलोमीटर पर गंगा का जल लेकर उसे टेस्टिंग के लिए प्रयोगशाला में भेजेंगे। इसकी रिपोर्ट से आम जनता और सरकार को अवगत कराया जाएगा। यह जानकारी आईटीबीपी के आईजी बीके मौर्या ने गुरुवार को दशाश्वमेध जल पुलिस चौकी में पत्रकार वार्ता के दौरान दी।
आईजी ने बताया कि आईटीबीपी की 22 सदस्यीय टीम ने गोल्डेन जुबली के मौके पर गंगा पुनर्दशन अभियान शुरू किया है। इसका नारा है गंगा में साफ पानी और स्वच्छ भारत। दो अत्याधुनिक नावों पर सवार जवानों ने 24 अप्रैल से गंगोत्री से गंगासागर तक की जन जागरूकता यात्रा शुरू की है। 25 मई को आईटीबीपी का बेड़ा बनारस आएगा। यहां आडियो-वीडियो के जरिये जनजागरण के बाद टीम गाजीपुर, बलिया होते हुए पटना चली जाएगी। कानपुर और इलाहाबाद में भी अभियान चलेगा। इसमें गंगा रिवर बेसिन अथारिटी भी सहयोग कर रहा है। आईजी ने संभावना जताई कि नदी यात्रा की लंबाई को लेकर यह मुहिम गिनीज बुक में दर्ज हो सकती है। बता दें कि आईटीबीपी की स्थापना 24 अक्तूबर 1962 में हुई थी। इस बीच फोर्स के जवान तीसरी बार एवरेस्ट फतह की मुहिम में जुट गए हैं। टीम में शामिल जवान 21 हजार फुट की चढ़ाई पूरी चुके हैं। इस दौरान डीआईजी ए. सतीश गणेश और एसपी सिटी संतोष सिंह भी मौजूद रहे।
गंगा दो या जेल दो, वरना गद्दी छोड़ दो (Amar Ujala 27 April 2012)
वाराणसी। हर-हर गंगे, घर-घर गंगे अभियान गुरुवार को राजघाट से शुरू किया गया। मां गंगा निषादराज समिति के मंत्री दुर्गा मांझी और पन्ना मांझी के नेतृत्व में शुरू हुआ अभियान भैंसासुर घाट, पंचअग्नि घाट, नया महादेव, रानी घाट, निषाद घाट होते हुए प्रह्लाद घाट तिराहे पर पहुंच कर सभा में बदल गया। सभा में बतौर मुख्य अतिथि सोमनाथ ओझा ने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि गंगा दो या जेल दो, वरना गद्दी छोड़ दो। कहा कि गंगा पर बांध बनाना उसकी मौत के बराबर है। विनोद कुमार निषाद ने कहा कि निषाद समाज गंगा को बचाने की मुहिम में पीछे नहीं हटेगा। रमेश चोपड़ा ने कहा कि गंगा की रक्षा के लिए संपूर्ण निषाद समाज को आगे आना चाहिए। अध्यक्षता करते हुए आचार्य बागीश दत्त शास्त्री ने कहा कि एक मई को संतों की तपस्या के 108 दिन पूरे हो जाएंगे। इस दिन 108 स्थानों पर गंगा तपस्या होगी। इस दौरान गंगा स्टीकर, पंफलेट और गंगा ध्वज बांटे गए। सभा में आचार्य वागीश दत्त मिश्र, दुर्गा, अशोक सिंह, प्रमोद माझी, रविंद्र ओझा, आदि मौजूद थे। उधर, आदर्श भारतीय संघ की ओर से शहीद भगत सिंह यूथ ब्रिगेड के तत्वावधान में मां सरस्वती इंटरमीडिएट कालेज कुरौना-कोरौता में चौपाल लगाई गई। इसमें 29 अप्रैल को होने वाले घर से चलें, गंगा भरें जनांदोलन के प्रति समर्थन जताया गया। संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष केसी संजय चौबे ने कहा कि गंगा तपस्या को सफल बनाने के लिए संगठन की मुहिम जारी रहेगी। अध्यक्षता महाविद्यालय के प्रबंधक राजेश्वर सिंह पटेल तथा संचालन रामाश्रय पटेल ने किया। इस दौरान बबलू मौर्या, हरिशंकर मौर्य, रमेशचंद्र गुप्ता, श्याम नारायण पटेल, संजय सिंह, राजन तिवारी, राहुल मिश्रा, मुकेश दुबे आदि मौजूद थे। वहीं, स्पंदन स्पर्श सेवा संस्थान की ओर से दशाश्वमेघ घाट पर सफाई अभियान चलाया गया। इसमें गंगा से निकालकर कूड़े-कचरे को नाव से उस पार पहुंचा गया। इस मुहिम में अमित पांडेय, मिथेलेश पांडेय, आनंद उपाध्याय, निर्मला, काजल सरोज, श्रेया जायसवाल, चंद्रशेखर, सचिन आदि मौजूद थे।
सामान्य है भिक्षु का स्वास्थ्य
वाराणसी। कबीरचौरा अस्पताल में गंगा तपस्या कर रहे गंगा प्रेमी भिक्षु का स्वास्थ्य स्थिर है। गुरुवार को भी उन्हें चिकित्सकों ने नली द्वारा दूध और दाल के रूप में भोज्य पदार्थ दिए। उनके सेवक दुर्गेश तिवारी ने बताया कि गंगा तपस्या में लीन भिक्षु का स्वास्थ्य सामान्य बना हुआ है।
गंगा सप्तमी पर होगा दुग्धाभिषेक
वाराणसी। सिगरा स्थित शास्त्री नगर कालोनी में सर्वोदय सेवा समिति के कार्यालय में सुशील पांडेय की अध्यक्षता में बैठक हुई। इसमें गंगा सप्तमी पर होने वाले दुग्धाभिषेक के आयोजन पर चर्चा की गई। निर्णय लिया गया कि इस बार भी अर्चक श्रीकांत मिश्रा के आचार्यत्व में मां गंगा का दुग्धाभिषेक संपन्न कराया जाएगा। इस दौरान रवि झा, विद्यासागर उपाध्याय, हरीश मिश्रा, विनय तिवारी, नीरज केशरी, संतोष पांडेय और सूरज आदि मौजूद थे।
गंगा रक्षा को सड़क पर उतरेंगे दंडी संन्यासी (Amar Ujala 27 April 2012)
वाराणसी। गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए चलाए जा रहे आंदोलन की उपेक्षा से नाराज दंडी संन्यासियों ने सड़क पर उतरने की चेतावनी दी है। उनका कहना है कि सरकार की ओर से लगातार की जा रही संतों और मां गंगा की उपेक्षा अब बर्दाश्त के बाहर हो गई है। यदि दस दिनों के भीतर गंगा मुहिम पर प्रधानमंत्री अपना वक्तव्य जारी नहीं करते तो सरकार को दंडी संन्यासियों के कोप का सामना करना पड़ेगा।
गंगा सेवा अभियानम की ओर से पिछले 103 दिनों से अविच्छिन्न गंगा तपस्या जारी है। लेकिन, सरकार इस मुद्दे को लेकर गंभीर नहीं दिखाई दे रही है। गंगा के प्रति उसका उपेक्षात्मक रवैया नहीं बदल रहा। गुुुरुवार को अस्सी स्थित मुुमुक्षु भवन में दंडी संन्यासियों की एक बैठक हुई। इसमें अखिल भारतीय दंडी संन्यासी महासभा के महामंत्री स्वामी ईश्वरानंद तीर्थ (गंगोत्री वाले) ने कहा कि सरकार गंगा के मसले का उलझा देना चाहती है। गंगा भारत की शान है और हिंदू जनमानस की आस्था का प्रतीक भी। किसी भी कीमत पर उनकी उपेक्षा बर्दाश्त नहीं होगी। कहा कि अब गंगा के मुद्दे पर संत समाज चुप नहीं बैठने वाला। चेतावनी दी कि यदि 10 दिनों के भीतर गंगा के मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने अपना वक्तव्य नहीं दिया तो दंडी संन्यासी गंगा की रक्षा के लिए सड़क पर उतरने को बाध्य होंगे। इसकी पूरी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी। बैठक में स्वामी रामरूपानंद तीर्थ, स्वामी राजनारायण आश्रम, स्वामी अखंडानंद तीर्थ, स्वामी भागवतानंद तीर्थ, स्वामी विवेकानंद तीर्थ, रघुनाथानंद तीर्थ समेत काफी संख्या में संत मौजूद थे।
पेयजल स्थिति का लिया जायजा (Dainik Jagran 27 April 2012)
देहरादून: विधायक गणेश जोशी ने गुरुवार को जल संस्थान एवं जल निगम के अधिकारियों के साथ बैठक कर पेयजल स्थिति का जायजा लिया। जल संस्थान के अधिशासी अभियंता सुबोध कुमार ने बताया कि पुरुकुल और जसपुर पेयजल योजना की मरम्मत का काम पूरा कर लिया गया है, जबकि मालसी पेयजल योजना, कैनाल रोड तथा विवेक विहार में वितरण व्यवस्था हाथीबड़कला ओएचटी से वितरण, शहंशाही ट्रीटमेंट प्लांट की ओवरहालिंग का कार्य प्रगति पर है। विधायक ने राजेंद्रनगर में लोहारवाला में ट्यूबवैल लगाने में हो रही देरी पर नाराजगी जताई। जल निगम के अधिशासी अभियंता एससी पंत ने बताया कि नीलकंड विहार एवं बदरीनाथ कॉलोनी में जल्द ही सीवर लाइन बिछाने के निर्देश भी दिए।
गंगा पर बांधों का विरोध नहीं: उमा (Dainik Jagran 27 April 2012)
हरिद्वार, जागरण संवाददाता: भाजपा नेत्री उमा भारती ने कहा कि वह गंगा में बन रहे बांधों की विरोधी नहीं हैं। बांधों से बिजली उत्पादन हो, लेकिन गंगा का प्रवाह भी बना रहना चाहिए। कांग्रेस की खींचतान को उन्होंने उत्तराखंड के विकास के लिए अड़चन बताया। केदारनाथ यात्रा के लिए पहुंची उमा भारती ने हरिद्वार में धार्मिक कार्यक्रमों में शिरकत की। दिव्य प्रेम सेवा मिशन में पत्रकारों से बातचीत में उमा भारती ने कहा कि उन्होंने कभी बांधों का विरोध नहीं किया, वे बांध विरोधी नहीं है। बांधों से पॉवर जनरेट हो इस पर आपत्ति नहीं है, लेकिन गंगा की अविरलता व निर्मलता पर भी ध्यान दिया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि यूपी में सपा की सरकार कानून व्यवस्था बिगाड़ रही है। सपा सरकार के पहले कार्यकाल में ही यूपी में राजनीति का अपराधीकरण शुरू हुआ। सपा अगर अपने कैडर पर लगाम लगा दे तो सत्तर फीसदी अपराध स्वयं की खत्म हो जाएंगे। एक सवाल के जबाव में उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में कांग्रेस में चल रही खींचतान प्रदेश हित में नहीं है। भाजपा ने कांग्रेस सरकार बनाने में कोई अड़चन नहीं डाली। कांग्रेसी जिस तरह आपस में लड़ रहे हैं उससे प्रदेश का विकास प्रभावित होगा। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के बाहरी लोगों के उत्तराखंड में आकर आंदोलन संबंधी बयान पर टिप्पणी करने से उन्होंने इंकार कर दिया। मैदान बनाम पहाड़ को लेकर चल रही बयानबाजी पर उन्होंने कहा कि वे उत्तराखंड को एक मानती है। इस तरह की बात नहीं होनी चाहिए।
पाताल में पहुंचे डीएम के ताल (Dainik Jagran 27 April 2012)
आगरा, जागरण संवाददाता: धरती के आंचल को पानी से लबरेज करने की जिला प्रशासन की कोशिश सिसक-सिसक कर आठ साल से दम तोड़ रही है। भूगर्भ जल स्तर को ऊपर लाने के लिए वर्ष 2003 में तत्कालीन डीएम नीतीश्वर कुमार ने आकाश का जल ताल में, ताल का जल पाताल में योजना के तहत तालाब खुदाई अभियान चलाया था। परंतु अधिकारियों की उदासीनता से अब ज्यादातर तालाब सूखे गढ्डों में तब्दील हो चुके हैं, शेष पर अवैध कब्जों की मार है। कुछ बचे हैं तो वहां उन्हें भरने का कोई इंतजाम नहीं। अछनेरा योजना के तहत ब्लाक अछनेरा के कुकथला में तो तालाब की खुदाई ही नहीं कराई गई। गांव के ओमेंद्र सिंह, चौ. दिलीप सिंह ने बताया कि उस वक्त नहर का पानी भरने के कारण खुदाई नहीं हुई थी। बाद में जरा सा गड्ढा खोद काम पूरा कर दिया गया। जबकि पुरामना की जाटव बस्ती स्थित तालाब का तो वजूद ही खत्म होने के कगार पर है। यहां तालाब पर ग्रामीणों का कब्जा है। बचा हुआ हिस्सा कूड़ा करकट से अटा पड़ा है। इसके अलावा सींगना स्थित सिगलीगर बस्ती, अरुआ खास, सांधन और रसूलपुर के तालाब भी अधिकारियों की उपेक्षा की कहानी कह रहे हैं। इनमें सांधन, सींगना और अरुआ खास के तालाबों की देखरेख का जिम्मा ग्राम पंचायतों को सौंपा गया था। परंतु ग्राम पंचायतों ने इन्हें अनदेखा कर दिया, तालाब सूखे पड़े हैं। फतेहाबाद ब्लाक फतेहाबाद में ग्राम पंचायत धिमिश्री के तालाब पर, उस समय 63 हजार 394 रुपये का खर्च दिखाया गया था। जबकि ग्रामीणों के मुताबिक तालाब तो खोदा ही नहीं गया। यहां रेलवे ठेकेदार ने मिट्टी निकालने के लिए खुदाई कराई थी। उसी को तालाब दर्शाते हुए खर्च दिखा दिया गया। बाद में एक छोटा सा गड्ढा खोदकर काम पूरा दर्शा दिया। जगराजपुर, रूपपुर, गढ़ी उदयराज, प्रतापपुरा, बेगनपुर, खण्डेर, डाक्टरपुरा और हिमायूंपुर गुर्जर में भी तब तालाब खुदाई पर हजारों रुपये खर्च किए गए थे। परंतु यहां मात्र गड्ढे ही खोदे गए और पानी भरने की कोई व्यवस्था अब तक नहीं हुई। प्रतापपुरा के शांतिलाल शर्मा, जगराज के शैलेष ने बताया कि तालाबों की कोई देखभाल नहीं होती। शमसाबाद ब्लाक शमसाबाद में भी कमोबेश यही स्थिति है। यहां ग्राम पंचायत हिरनेर के उपग्राम गढ़ी जहान सिंह, गुलबापुरा, ठेरही के उप ग्राम मोहनलाल की गढ़ी, कोटरे का पुरा, जयनगर, चितौरा और सूरजमल का पुरा में भी तालाबों की खुदाई कराई गई थी। परंतु सूत्रों के मुताबिक इन जगहों पर खुदाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही हुई। हालांकि बीते कुछ साल इनमें से कुछ तालाबों का हाल सुधारा गया परंतु पानी भरने की व्यवस्था नहीं हुई।
गंगा के लिए सभी साथ आएं : आमिर (Dainik Jagran 27 April 2012)
वाराणसी, जागरण संवाददाता : गंगा केवल नदी नहीं हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं। उसे संकट से उबारने के लिए सबको साथ आना चाहिए। यह उद्गार हैं बॉलीवुड के सुपर स्टार आमिर खान के। वाराणसी से मुंबई रवानगी के लिए गुरुवार को बाबतपुर एयरपोर्ट पहुंचे आमिर ने उम्मीद जताई कि देर-सबेर ही सही गंगा की अविरलता-निर्मलता के लिए चल रहा अभियान मुकाम तक पहुंचेगा। मौके पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने वाराणसी से अपने लगाव के बारे में बताया। कहा, यहां मेरी अम्मी पैदा हुई थीं। सो इस शहर से मेरा खास संबंध भी है। यहां आने से मुझे नई ऊर्जा मिलती है। यहां के लोगों से मिलकर ढेर सारी भूली बिसरी यादें ताजा हो जाती हैं।
Wednesday, April 25, 2012
Metro embroiled in green row (Times of India 26 April 2012)
NEW DELHI: Delhi Metro has again drawn the ire of environmentalists over construction of a bridge parallel to the existing Nizamuddin Bridge. This is not the first time DMRC is embroiled in a green row.
Despite a condition set by the Yamuna Standing Committee that no labour camps, construction material yards or batching plants can be built on the floodplain or river bed for the project, DMRC has flattened the area in the intersection of the bridge and Ring Road in violation of norms.
These guidelines were hammered out during meetings of the Yamuna Standing Committee on February 27 and March 6.
In a letter written by DMRC in reply to an RTI query on March 23, it not only mentioned this but added that "except the bridge, foundation and piers, no other structures will be constructed on the Yamuna floodplain without clearance from the standing committee".
The letter also states "the floodplain will not be used for dumping of surplus/construction spoils by executing agencies or vendors and if they do so, a penalty will be imposed by DMRC".
When asked about the violation, senior DMRC officials said the land in question had been used for batching purpose during phases I and II and they were not aware of this rule. "The tendering for this particular project was done on September 2011. Since we had used this land for the same purpose in the past, we built it into our tender.
"We had told the government why we needed land and we got it. Nobody said anything about it earlier," said an official.
But when confronted with the DMRC letter of March 23, the official said the information had probably not been disseminated. "Since tendering was done long before conditions were laid, we have been continuing with the work. Now we will look into the matter and see what can be done.
"This will set us back by a bit since there is no other place available near the project site," said the official.
Manoj Mishra, convener of Yamuna Jiye Abhiyaan said the site was originally meant for Rajeev Smriti Van and they had pictorial evidence to prove the site went under water during the September 2010 floods.
"We have written to LG and asked him to take immediate remedial action," he said.
NGO points out construction flaws in Games Village flats (The Hindu 24 April 2012)
Punctures DDA's claim of them being “most desirable place”
Non-government organisation Yamuna Jiye Abhiyan has punctured the Delhi Development Authority's marketing blitz inviting bidders for the luxurious housing units in the Commonwealth Games Village by pointing to “deficiencies” in the construction quality.
In an open letter, the Abhiyan has cajoled investors and prospective house buyers to consider reports that highlight flaws in the construction of what the DDA calls the “most desirable place” to live in the Capital.
Citing paragraphs from the Shunglu Committee Report and another drafted by the Central Building Research Institute, Roorkee (CBRI), the Abhiyan has urged the citizens “to understand and reject DDA's invitation on not just moral grounds but also on sound economic and safety sense”.
The Abhiyan has quoted from the report submitted by the Shunglu Committee that was set up by the Prime Minister to check the transgression during the Commonwealth Games-2010. It says: “The flooding of the basements of the newly-constructed residential towers in August-September 2010 following heavy rainfall in Delhi served to highlight the potential danger that could be posed by nature's fury to buildings constructed in this fragile and vulnerable location.”
Further, “the oversight and monitoring functions by the committees set up by the DDA were ineffective as several defects and quality issues relating to the construction of the residential zone by the project developer continued to persist”.
CAG report
The Abhiyan, which has been spearheading a campaign to save the Yamuna and its floodplains, has also quoted the Comptroller and Auditor General's report (Performance audit report on XIX Commonwealth Games -2010): “Emaar MGF awarded most of the construction work to Ahluwalia Contracts (India) Limited. Central Building Research Institute-Roorkee (CBRI) was appointed as the third party independent quality inspection agency only in May 2008, by which time most of the foundation work had been executed. As such the CBRI was unable to assure the quality of the foundation laid. In our opinion, this is a serious lacuna, considering the site location and the height of the structure.”
The CAG report goes on to say: “CBRI pointed out (Report No.3) that many columns in the basement floors of Towers 3, 4 and 5 were out of plumb and some of them were tapered. This situation poses a serious problem in the event of an earthquake as the construction site is located in seismic zone IV, that too on alluvial soil…..”
Punching holes into the DDA's claims of a housing project where “each flat is a polished gem”, the Abhiyan refers to the CBRI report of July 2009 that concluded thus: “…On seeing the permeability of the concrete and the corrosion of reinforcing steel, it gives an impression that the service life of these towers cannot be more than 20 years.”
“Clearly as is brought out above by expert bodies that what the DDA is claiming to be the most desirable place in Delhi is actually the most undesirable and risky place in the city,” said Manoj Misra of the Abhiyan.
To buttress the Abhiyan's claims about the unsuitability of the housing units, he said Delhi is as per records Zone 4 on the nation's seismic zone map and the riverbed/floodplain the city, where this structure stands is Zone 5 on account of its unconsolidated soil base extending to almost 150 m below the ground surface. “It is also a fact that seismic activity in and around the city is on an increase. Thus any high-rise structure standing on the riverbed is risky and prone to unimaginable damages in the event of any unusual seismic activity. All these facts are well known and often reiterated by experts. Thus the least that the DDA should be doing is to admit these obvious risks as it goes about advertising for people including the non-resident Indians and people of Indian origin to invest in the said structure to be used for residential purposes,” he said.
The Abhiyan claims its disclosures in the letter are aimed at helping buyers and investors “make an informed choice”. “A residential area becomes attractive first and foremost by its proximity to essential facilities like schools, hospitals, shops of general utility, and other residential neighbourhoods and not just by fancy sporting facilities or a popular temple or cultural centre etc. being nearby as the advertisement seems to highlight,” said Mr. Misra.
Thursday, April 19, 2012
खेलगांव परिसर से बरसाती पानी की निकासी को लेकर विवाद (Dainik Jagran 17 April 2012)
ई दिल्ली राज्य ब्यूरो: राष्ट्रमंडल खेल गांव परिसर से बरसाती पानी की निकासी को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। बता दें कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) बरसाती पानी की निकासी के लिए खेल गांव से शाहदरा ड्रेन तक पाइप लाइन बिछाने की योजना बनाई है। जिसका यमुना जिये अभियान नामक संगठन ने विरोध किया है।
इस योजना का विरोध करते हुए संगठन ने उप राज्यपाल तेजेंद्र खन्ना को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि डीडीए ने वादा किया था कि खेल गांव में बरसाती पानी को रेन वाटर हार्वेस्टिंग के जरिए जमीन के अंदर पहुंचाया जाएगा। लेकिन डीडीए ने खेल गांव परिसर में बने वाटर बॉडी से शाहदरा डेन तक 300 मिमी मोटी पाइप लाइन बिछाने के लिए लगभग 40 लाख रुपये खर्च करने की योजना बनाई है। डीडीए ने इसके लिए टेंडर भी जारी कर दिया है। यमुना जिये अभियान के संयोजक मनोज मिश्र ने कहा कि डीडीए ने खेल गांव के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रलय से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेते वक्त कहा था कि प्रोजेक्ट साइट से बरसाती पानी किसी भी नाले में नहीं डाला जाएगा, बल्कि इस पानी का इस्तेमाल भूजल रिचार्ज करने के लिए किया जाएगा। लेकिन वह अब अपनी बातों पर कायम नहीं है।
इसके अलावा यमुना जिये अभियान ने उपराज्यपाल को लिखे पत्र में डीएमआरसी के खिलाफ भी शिकायत की है। जिसमें कहा गया है कि यमुना पर पुल बनाने के लिए दिल्ली मेट्रो रेल निगम ने जो आश्वासन यमुना स्टैंडिंग कमेटी को दिया था उसे वह पूरा नहीं कर रहा है। संगठन ने उपराज्यपाल से दोनों एजेंसियों पर कार्रवाई करने की मांग की है।
इस योजना का विरोध करते हुए संगठन ने उप राज्यपाल तेजेंद्र खन्ना को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि डीडीए ने वादा किया था कि खेल गांव में बरसाती पानी को रेन वाटर हार्वेस्टिंग के जरिए जमीन के अंदर पहुंचाया जाएगा। लेकिन डीडीए ने खेल गांव परिसर में बने वाटर बॉडी से शाहदरा डेन तक 300 मिमी मोटी पाइप लाइन बिछाने के लिए लगभग 40 लाख रुपये खर्च करने की योजना बनाई है। डीडीए ने इसके लिए टेंडर भी जारी कर दिया है। यमुना जिये अभियान के संयोजक मनोज मिश्र ने कहा कि डीडीए ने खेल गांव के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रलय से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेते वक्त कहा था कि प्रोजेक्ट साइट से बरसाती पानी किसी भी नाले में नहीं डाला जाएगा, बल्कि इस पानी का इस्तेमाल भूजल रिचार्ज करने के लिए किया जाएगा। लेकिन वह अब अपनी बातों पर कायम नहीं है।
इसके अलावा यमुना जिये अभियान ने उपराज्यपाल को लिखे पत्र में डीएमआरसी के खिलाफ भी शिकायत की है। जिसमें कहा गया है कि यमुना पर पुल बनाने के लिए दिल्ली मेट्रो रेल निगम ने जो आश्वासन यमुना स्टैंडिंग कमेटी को दिया था उसे वह पूरा नहीं कर रहा है। संगठन ने उपराज्यपाल से दोनों एजेंसियों पर कार्रवाई करने की मांग की है।
गंगा के लिए संतों ने किया मंथन (Dainik Jagran 17 April 2012)
नई दिल्ली, जासं: गंगा की रक्षा के लिए मंगलवार को प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के साथ होने वाली बैठक के लिए सोमवार देर रात तक गांधी शांति प्रतिष्ठान में देश के अलग-अलग स्थानों से आए साधु-संतों व पर्यावरणविदों ने मंथन किया। प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात के दौरान किस बिंदु को प्रमुखता से रखा जाए, इसपर सहमति बनाने के लिए सभी ने काफी देर तक मंथन किया। बैठक में स्वामी अभिस्वरूपानंद, स्वामी शिवानंद, वाराणसी के संकट मोचन फाउंडेशन के महंत वीरभद्र मिश्र, राजेंद्र सिंह, राशिद सिद्दकी, रवि चोपड़ा समेत नेशनल गंगा रिवर बेसिन ऑथारिटी और गंगा सेवा अभियान के सदस्य मौजूद थे।
गंगा के लिए पीएम आवास पर बैठक आज (Dainik Jagran 17 April 2012)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता: पवित्र गंगा की अविरल धारा बनी रहे इस मकसद से मंगलवार को नेशनल गंगा रिवर बेसिन अथॉरिटी (एनजीआरबीए) और गंगा सेवा अभियान के सदस्यों की बैठक होने जा रही है। प्रधानमंत्री आवास पर एनजीआरबीए के चेयरमैन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अगुआई में आयोजित होने वाली बैठक में गंगा सेवा अभियान से जुड़े सात संत हिस्सा लेंगे।
बैठक में गंगा सेवा अभियान के स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद गंगा बचाव को लेकर अपना एजेंडा रखेंगे। इस मुद्दे को लेकर स्वामी सानंद अनशन पर हैं और तबियत बिगड़ जाने की वजह से एम्स के एबी-टू आइसीयू में भर्ती हैं।
बैठक के संबंध में स्वामी सानंद ने जो पत्र प्रधानमंत्री को लिखा है, उसकी कॉपी दैनिक जागरण के पास है। प्रधानमंत्री के नाम लिखे इस पत्र में स्वामी सानंद ने इस बैठक में शामिल होने वाले सात संतों की सूची के साथ एजेंडे की कॉपी भी भेजी है। सूत्रों की माने तो स्वामी सानंद बैठक को लेकर काफी उत्सुक हैं और लगातार अपने समर्थकों के साथ चर्चा कर रहे हैं। इसी कड़ी में आज एनजीआरबीए के सदस्य डॉक्टर रवि चोपड़ा उनसे मिलने एम्स पहुंचे और इस मुद्दे पर गंभीरता से चर्चा की।
बैठक में गंगा सेवा अभियान के स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद गंगा बचाव को लेकर अपना एजेंडा रखेंगे। इस मुद्दे को लेकर स्वामी सानंद अनशन पर हैं और तबियत बिगड़ जाने की वजह से एम्स के एबी-टू आइसीयू में भर्ती हैं।
बैठक के संबंध में स्वामी सानंद ने जो पत्र प्रधानमंत्री को लिखा है, उसकी कॉपी दैनिक जागरण के पास है। प्रधानमंत्री के नाम लिखे इस पत्र में स्वामी सानंद ने इस बैठक में शामिल होने वाले सात संतों की सूची के साथ एजेंडे की कॉपी भी भेजी है। सूत्रों की माने तो स्वामी सानंद बैठक को लेकर काफी उत्सुक हैं और लगातार अपने समर्थकों के साथ चर्चा कर रहे हैं। इसी कड़ी में आज एनजीआरबीए के सदस्य डॉक्टर रवि चोपड़ा उनसे मिलने एम्स पहुंचे और इस मुद्दे पर गंभीरता से चर्चा की।
‘गंगा’ के एक और भगीरथ (Dainik Jagran 17 April 2012)
केदार दत्त, देहरादून: एक दशक पहले पौड़ी जनपद की जिस गाडखर्क पहाड़ी से हरियाली ने मुंह मोड़ लिया था, आज वह न सिर्फ हरे-भरे जंगल में तब्दील हो गई है, बल्कि पहाड़ी से एक गाड-गंगा भी अवतरित हो गई। बदलाव की यह बयार यूं ही नहीं बही, गाडखर्क को यह ‘वरदान’ आधुनिक भगीरथ के रूप में आए सच्चिदानंद भारती के अथक प्रयासों ने दिया। पहाड़ी को हरभरा बनाने के लिए उन्होंने जल तलैयों की जो शुरुआत की थी, आज वह एक जल आंदोलन के रूप में बीरोंखाल व थलीसैण के दर्जनों गांवों के जंगलों को नवजीवन दे रही है।
दूधातोली लोक विकास संस्थान के संस्थापक सच्चिदानंद भारती तब इंटर कॉलेज उफरैंखाल में शिक्षक थे। यहां की वीरान रूखी-सूखी गाडखर्क पहाड़ी उनके मन को कचोटती थी। एक रोज उन्होंने पहाड़ी को हरा-भरा बनाने की ठानी और शुरू किया ‘पाणी राखो’ आंदोलन। पहाड़ी पर छोटे-छोटे जल तलैये बनाए गए। मेहनत रंग लाई और एक दशक के भीतर पहाड़ी हरियाली से लकदक हो गई। पहाड़ी पर बने हजारों जल तलैयों में वर्षा जल संजय होता गया और नीचे जा चुके जल स्रोत पुनर्जीवित हो उठे।
साथ ही, पहाड़ी से लगकर बहने वाला बरसाती गदेरा सदानीरा में तब्दील हो गया, जिसे नाम दिया गया ‘गाड गंगा’। सच्चिदानंद के कदम यहां नहीं थमे, उन्होंने पाणी राखो की अलख दूसरे गांवों में भी जगाने का काम शुरू किया। मुहिम के अगले चरण में उन्होंने जल तलैयों से एक कदम आगे जंगलों में जल कुएं बनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया। इन्हीं जल कुओं की बदौलत एक करोड़ लीटर वर्षाजल का संचय होने से बीरोंखाल और थलीसैण के गाडखर्क, डांडखिल, दुम्लोट, भराड़ीधार, जंदरिया, तोल्यूं, मनियारगांव, कफलगांव, भरनौं, चौंडा समेत दर्जनभर गांवों से लगे जंगलों में हरियाली लौटने लगी है। जंगलों में 10 हजार जल कुएं बनाए गए हैं। कुओं के किनारे घास और विभिन्न प्रजातियों के पौधे भी लगाए गए हैं। श्री भारती के मुताबिक इस प्रयोग को और विस्तार देने की योजना है।
दूधातोली लोक विकास संस्थान के संस्थापक सच्चिदानंद भारती तब इंटर कॉलेज उफरैंखाल में शिक्षक थे। यहां की वीरान रूखी-सूखी गाडखर्क पहाड़ी उनके मन को कचोटती थी। एक रोज उन्होंने पहाड़ी को हरा-भरा बनाने की ठानी और शुरू किया ‘पाणी राखो’ आंदोलन। पहाड़ी पर छोटे-छोटे जल तलैये बनाए गए। मेहनत रंग लाई और एक दशक के भीतर पहाड़ी हरियाली से लकदक हो गई। पहाड़ी पर बने हजारों जल तलैयों में वर्षा जल संजय होता गया और नीचे जा चुके जल स्रोत पुनर्जीवित हो उठे।
साथ ही, पहाड़ी से लगकर बहने वाला बरसाती गदेरा सदानीरा में तब्दील हो गया, जिसे नाम दिया गया ‘गाड गंगा’। सच्चिदानंद के कदम यहां नहीं थमे, उन्होंने पाणी राखो की अलख दूसरे गांवों में भी जगाने का काम शुरू किया। मुहिम के अगले चरण में उन्होंने जल तलैयों से एक कदम आगे जंगलों में जल कुएं बनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया। इन्हीं जल कुओं की बदौलत एक करोड़ लीटर वर्षाजल का संचय होने से बीरोंखाल और थलीसैण के गाडखर्क, डांडखिल, दुम्लोट, भराड़ीधार, जंदरिया, तोल्यूं, मनियारगांव, कफलगांव, भरनौं, चौंडा समेत दर्जनभर गांवों से लगे जंगलों में हरियाली लौटने लगी है। जंगलों में 10 हजार जल कुएं बनाए गए हैं। कुओं के किनारे घास और विभिन्न प्रजातियों के पौधे भी लगाए गए हैं। श्री भारती के मुताबिक इस प्रयोग को और विस्तार देने की योजना है।
Wednesday, April 18, 2012
यमुना का 'चीरहरण' कर रहा माफिया (Dainik Jagran 18 Aprila 2012)
बागपत। हिंडन और काली नदी के साथ यमुना नदी भी अस्तित्व खोने की कगार पर पहुंच गई है। रेत माफिया यमुना का 'चीरहरण' कर रहा है तो आम आदमी इसकी कोख से मुनाफा कमाने के प्रयास में है। युमना कल भी पतित पावनी थी और आज भी उसका यह स्वभाव नहीं बदला है लेकिन उस इंसान का क्या करें जो सब कुछ जानते हुए भी इस पर अपने स्वार्थ की 'समिधा' चढ़ाने पर आमादा है।
हाल इतना खराब है कि दूसरों का उद्धार करने वाली युमना आज खुद अपने उद्धार के लिये बल खाती दिख रही है। विकास की योजनाएं सिर्फ फाइलों तक ही सिमटकर रह गयी हैं। न अफसरों को इसकी फिक्र है न शहर बासियों को इसका कोई मलाल।
ऐसा है हाल
सहारनपुर से होते हुए यमुना नदी बागपत जनपद की 50 किमी. सीमा के समानांतर बह रही है। टांडा गांव से लेकर सुभानपुर गांव तक यह नदी जिले में प्रवाहित होती है। वर्तमान में यमुना भी हिंडन और काली नदी की तरह दुर्दशा का शिकार हो रही है। बागपत तो बिल्कुल युमना की गोद में बैठा है। शहर पार करते ही इसकी अविरल धार दिखाई देने लगती है।
मात्र तीन माह का कल-कल
साल में मात्र 3 से 5 माह तक यमुना में पानी की निर्मल-अविरल धार बहती है और उसके बाद यह सूखी रहती है। सफाई के नाम पर कभी कोई विशेष अभियान नहीं चलाया जाता।
माफिया की मनमानी
हालात तो पहले ही खराब थे, रही सही कसर रेत माफिया ने पूरी कर दी है। मशीनों से दिन-रात रेत खनन किया जा रहा है। जिस कारण यमुना में 'मौत' के कुंड बनते जा रहे हैं।
ईट तक उखाड़ ले गए लोग
बागपत के पक्का घाट पर कुछ साल पूर्व लाखों की लागत से सौंदर्यीकरण का काम कराया गया था। अब उसका सूरते हाल देखा जाए तो वहां लगी ईट और टाइल्स तक लोग उखाड़ कर ले गए हैं। यमुना मार्ग पर लगाए गए पेड़ और ट्री-गार्ड धराशायी कर दिए गए। अब वहां न हरियाली है और न ही पानी।
किसानों ने लगाई पलेज
हर साल की तरह इस साल भी किसानों ने आजीविका चलाने के लिए पलेज लगाई है। किसान मेहनत कर फसल लेने की तैयारी में हैं। स्थिति तो यह है कि किसानों ने पानी न होने के कारण यमुना नदी में ही हैंडपंप लगा दिया है, ताकि पेयजल के लिए तरसना न पड़े।
आस्था को पहुंच रही ठेस
आस्था का केंद्र रही यमुना नदी पर वर्षो से कोई धार्मिक अनुष्ठान भी नहीं हुआ है। क्योंकि यमुना में पानी नहीं है। यदि पानी होता है तो वह हरियाणा की ओर थोड़ा बहुत होता है। जिले के लोग हरियाणा की ओर जाकर धार्मिक अनुष्ठान किसी तरह सम्पन्न करते हैं।
इनकी सुनिये..
समय-समय पर निरीक्षण किया जाता है। जिन असामाजिक तत्वों ने ट्रीगार्ड और पौधे तोड़े हैं उनके खिलाफ जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी। सफाई के लिए भी सिंचाई विभाग को निर्देश दिए जाएंगे। -अमृता सोनी, जिलाधिकारी बागपत।
हाल इतना खराब है कि दूसरों का उद्धार करने वाली युमना आज खुद अपने उद्धार के लिये बल खाती दिख रही है। विकास की योजनाएं सिर्फ फाइलों तक ही सिमटकर रह गयी हैं। न अफसरों को इसकी फिक्र है न शहर बासियों को इसका कोई मलाल।
ऐसा है हाल
सहारनपुर से होते हुए यमुना नदी बागपत जनपद की 50 किमी. सीमा के समानांतर बह रही है। टांडा गांव से लेकर सुभानपुर गांव तक यह नदी जिले में प्रवाहित होती है। वर्तमान में यमुना भी हिंडन और काली नदी की तरह दुर्दशा का शिकार हो रही है। बागपत तो बिल्कुल युमना की गोद में बैठा है। शहर पार करते ही इसकी अविरल धार दिखाई देने लगती है।
मात्र तीन माह का कल-कल
साल में मात्र 3 से 5 माह तक यमुना में पानी की निर्मल-अविरल धार बहती है और उसके बाद यह सूखी रहती है। सफाई के नाम पर कभी कोई विशेष अभियान नहीं चलाया जाता।
माफिया की मनमानी
हालात तो पहले ही खराब थे, रही सही कसर रेत माफिया ने पूरी कर दी है। मशीनों से दिन-रात रेत खनन किया जा रहा है। जिस कारण यमुना में 'मौत' के कुंड बनते जा रहे हैं।
ईट तक उखाड़ ले गए लोग
बागपत के पक्का घाट पर कुछ साल पूर्व लाखों की लागत से सौंदर्यीकरण का काम कराया गया था। अब उसका सूरते हाल देखा जाए तो वहां लगी ईट और टाइल्स तक लोग उखाड़ कर ले गए हैं। यमुना मार्ग पर लगाए गए पेड़ और ट्री-गार्ड धराशायी कर दिए गए। अब वहां न हरियाली है और न ही पानी।
किसानों ने लगाई पलेज
हर साल की तरह इस साल भी किसानों ने आजीविका चलाने के लिए पलेज लगाई है। किसान मेहनत कर फसल लेने की तैयारी में हैं। स्थिति तो यह है कि किसानों ने पानी न होने के कारण यमुना नदी में ही हैंडपंप लगा दिया है, ताकि पेयजल के लिए तरसना न पड़े।
आस्था को पहुंच रही ठेस
आस्था का केंद्र रही यमुना नदी पर वर्षो से कोई धार्मिक अनुष्ठान भी नहीं हुआ है। क्योंकि यमुना में पानी नहीं है। यदि पानी होता है तो वह हरियाणा की ओर थोड़ा बहुत होता है। जिले के लोग हरियाणा की ओर जाकर धार्मिक अनुष्ठान किसी तरह सम्पन्न करते हैं।
इनकी सुनिये..
समय-समय पर निरीक्षण किया जाता है। जिन असामाजिक तत्वों ने ट्रीगार्ड और पौधे तोड़े हैं उनके खिलाफ जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी। सफाई के लिए भी सिंचाई विभाग को निर्देश दिए जाएंगे। -अमृता सोनी, जिलाधिकारी बागपत।
यमुना का स्वास्थ्य सूचकांक गिरा (Dainik Jagran 18 April 2012)
शामली (प्रबुद्धनगर)। पतित पावनी गंगा को निर्मल करने को संत समाज आंदोलन चल रहा है, वहीं यमुना नदी की दुर्दशा पर जन समुदाय से लेकर शासन-प्रशासन चुप्प है, जबकि 1376 किमी यमुना नदी कई स्थानों पर मृतप्राय व बीमार हो गई है।
नदी स्वास्थ्य सूचकांक के शोध में यमुना नदी की दुर्दशा सामने आई है। कैराना में यमुना नदी में आए दिन हरियाणा प्रांत की औद्योगिक इकाइयों का गंदा पानी आ रहा है। कई स्थानों पर तो यमुना अब सिर्फ बरसाती नदी बनकर रह गई है।
गंगा बचाओ आंदोलन को लेकर आंदोलन तेज है। वहीं यमुना नदी पर अभी तक किसी का ध्यान नहीं आ रहा है, जबकि यमुना की दुर्दशा गंगा से कहीं ज्यादा है। फैक्ट्रियों का गंदा पानी यमुना को प्रदूषित कर रहा है। आए दिन यूपी-हरियाणा बार्डर पर कैराना में यमुना में प्रदूषित पानी आ रहा है। पीस इंस्ट्टीयूट चैरेटिबल ट्रस्ट मयूर विहार दिल्ली ने दो साल तक सामुदायिक यमुना नदी के स्वास्थ्य सूचकांक पर शोध किया है।
शोध के मुताबिक यमनोत्री से लेकर इलाहाबाद तक यमुना नदी की कुल लंबाई 1376 किमी है। यमनोत्री से डाकपत्थर (उत्तराखंड) तक मात्र करीब डेढ़ सौ किमी तक यमुना की हालत सही है। इसके बाद कई स्थानों पर तो यमुना की हालत काफी दयनीय है। रिपोर्ट के मुताबिक यमुना से सोनीपत तक पानी कम होने से यमुना यहां बरसाती नदी बनकर रह गई है। दिल्ली से इटावा, यमुनानगर, कैराना आदि स्थानों पर औद्योगिक इकाईयों के नाले का पानी यमुना में गिर रहा है। जिसकी वजह से यमुना बीमार हालत में है।
संस्था के योजना सहायक भीम ने बताया कि पहाड़ों से निकलने वाली यमुना नदी मैदानी क्षेत्र में आते ही प्रदूषण की चपेट में आ जाती है। इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा, जो भविष्य में नदी के अस्तित्व के लिए खतरे की घंटी है।
14 स्थानों पर मित्र मंडली बनाई
संस्था ने यमुना की दुर्दशा को देखते हुए 14 स्थानों पर समिति बनायी है। समिति स्नान घाट आदि स्थानों पर यमुना को साफ करने को समय-समय पर कदम उठा रही है। समिति के पदाधिकारी आमजन को यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के लिए जागरूक करते हैं।
नदी स्वास्थ्य सूचकांक के शोध में यमुना नदी की दुर्दशा सामने आई है। कैराना में यमुना नदी में आए दिन हरियाणा प्रांत की औद्योगिक इकाइयों का गंदा पानी आ रहा है। कई स्थानों पर तो यमुना अब सिर्फ बरसाती नदी बनकर रह गई है।
गंगा बचाओ आंदोलन को लेकर आंदोलन तेज है। वहीं यमुना नदी पर अभी तक किसी का ध्यान नहीं आ रहा है, जबकि यमुना की दुर्दशा गंगा से कहीं ज्यादा है। फैक्ट्रियों का गंदा पानी यमुना को प्रदूषित कर रहा है। आए दिन यूपी-हरियाणा बार्डर पर कैराना में यमुना में प्रदूषित पानी आ रहा है। पीस इंस्ट्टीयूट चैरेटिबल ट्रस्ट मयूर विहार दिल्ली ने दो साल तक सामुदायिक यमुना नदी के स्वास्थ्य सूचकांक पर शोध किया है।
शोध के मुताबिक यमनोत्री से लेकर इलाहाबाद तक यमुना नदी की कुल लंबाई 1376 किमी है। यमनोत्री से डाकपत्थर (उत्तराखंड) तक मात्र करीब डेढ़ सौ किमी तक यमुना की हालत सही है। इसके बाद कई स्थानों पर तो यमुना की हालत काफी दयनीय है। रिपोर्ट के मुताबिक यमुना से सोनीपत तक पानी कम होने से यमुना यहां बरसाती नदी बनकर रह गई है। दिल्ली से इटावा, यमुनानगर, कैराना आदि स्थानों पर औद्योगिक इकाईयों के नाले का पानी यमुना में गिर रहा है। जिसकी वजह से यमुना बीमार हालत में है।
संस्था के योजना सहायक भीम ने बताया कि पहाड़ों से निकलने वाली यमुना नदी मैदानी क्षेत्र में आते ही प्रदूषण की चपेट में आ जाती है। इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा, जो भविष्य में नदी के अस्तित्व के लिए खतरे की घंटी है।
14 स्थानों पर मित्र मंडली बनाई
संस्था ने यमुना की दुर्दशा को देखते हुए 14 स्थानों पर समिति बनायी है। समिति स्नान घाट आदि स्थानों पर यमुना को साफ करने को समय-समय पर कदम उठा रही है। समिति के पदाधिकारी आमजन को यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के लिए जागरूक करते हैं।
गंगा में अवैध खनन: पर्यावरण और जलीय जीवों मंडराया खतरा (Dainik Jagran 18 April 2012)
नांगलसोती, बिजनौर : बेलगाम खनन माफिया ने यूपी उत्तराखंड दोनों सूबों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बालावाली में दिन-रात अवैध खनन जारी है। माफिया गंगा का सीना चीर कर जहां पर्यावरण व जलीय जीवों को हानि पहुंचा रहे हैं, वहीं वे ग्रेट यूनिट की हाइटेंशन विद्युत लाइन के खंभों को अपना निशाना बना रहे हैं।
केस एक- यूपी व उत्तराखंड को विद्युत सप्लाई के आदान-प्रदान को ग्रेट यूनिट की दो हाइटेंशन लाइन खींची गई हैं, जोकि बालावाली गंगा क्षेत्र से होकर यूपी में प्रवेश कर रही हैं। इन पर दोनों सूबों की सप्लाई निहित है। इन लाइनों के खंभे बालावाली गंगा से कुछ दूरी पर ही शुरू होते हैं। खनन माफिया भी इन खंभों के इर्द गिर्द ही सक्रिय हैं। माफिया ने पहले इन खंभों को निशाना बनाते हुए इनकी जड़ों को खाली कर चारों ओर कई किमी की दूरी तक स्थान खाली कर दिया है।
केस दो- बालावाली में गंगा के ऊपर लगभग तीन किलोमीटर रेल पुल बनाए गये हैं। जोकि यूपी-उत्तराखंड को जोड़ते हैं। इनमें एक ब्रिटिश समय का पुराना लोहे का पुल है तो दूसरा इसके समीप ही कुछ दशक पूर्व दूसरा पुल बनाया गया था। माफिया अवैध खनन करते हुए पुलों के समीप पहुंच गये हैं।
केस तीन-खनन माफिया सक्रिय होकर गंगा नदी से जिस छोर तक पहुंच गये हैं, उससे लगभग सौ मीटर की दूरी पर गंगा मंदिर व साधु संतों के आश्रम हैं। खनन के कारण गंगा में खाई खोदी जा रही है। इससे मंदिरों का अस्तित्व भी खतरे में आ रहा है।
बेहाल हैं दोनों सूबों के किसान-
बरसात के दिनों में गंगा नदी में बालावाली, रामसहायवाला, टीप, हिम्मतपुर बेला, डूंगरपुरी, गोपालपुर आदि के किसानों की भूमि पर भारी मात्रा में सफेद उपखनिज छोड़ दिया था। इससे किसानों की फसल तबाह हो गई थी। बालावाली के प्रधान रमेश चंद, रामसहायवाला व हिम्मतपुर बेला के प्रधान सहित डूंगरपुर के प्रधान मेघराज, गोपालपुर के प्रधान ब्रह्मपाल ने अवैध खनन रूकवाने के लिए डीएम व एसडीएम से शिकायत कर चुके हैं।
डीएम का कहना है-
जिलाधिकारी डा. सारिका मोहन का कहना है कि बालावाली क्षेत्र में हो रहे अवैध खनन के बारे में उन्हें जानकारी है। वह इसकी निगरानी कराने के साथ-साथ एक रिपोर्ट तैयार करा रही हैं। इसके लिए दोनों राज्यों के प्रशासन को एक साथ एक्शन लेना होगा।
केस एक- यूपी व उत्तराखंड को विद्युत सप्लाई के आदान-प्रदान को ग्रेट यूनिट की दो हाइटेंशन लाइन खींची गई हैं, जोकि बालावाली गंगा क्षेत्र से होकर यूपी में प्रवेश कर रही हैं। इन पर दोनों सूबों की सप्लाई निहित है। इन लाइनों के खंभे बालावाली गंगा से कुछ दूरी पर ही शुरू होते हैं। खनन माफिया भी इन खंभों के इर्द गिर्द ही सक्रिय हैं। माफिया ने पहले इन खंभों को निशाना बनाते हुए इनकी जड़ों को खाली कर चारों ओर कई किमी की दूरी तक स्थान खाली कर दिया है।
केस दो- बालावाली में गंगा के ऊपर लगभग तीन किलोमीटर रेल पुल बनाए गये हैं। जोकि यूपी-उत्तराखंड को जोड़ते हैं। इनमें एक ब्रिटिश समय का पुराना लोहे का पुल है तो दूसरा इसके समीप ही कुछ दशक पूर्व दूसरा पुल बनाया गया था। माफिया अवैध खनन करते हुए पुलों के समीप पहुंच गये हैं।
केस तीन-खनन माफिया सक्रिय होकर गंगा नदी से जिस छोर तक पहुंच गये हैं, उससे लगभग सौ मीटर की दूरी पर गंगा मंदिर व साधु संतों के आश्रम हैं। खनन के कारण गंगा में खाई खोदी जा रही है। इससे मंदिरों का अस्तित्व भी खतरे में आ रहा है।
बेहाल हैं दोनों सूबों के किसान-
बरसात के दिनों में गंगा नदी में बालावाली, रामसहायवाला, टीप, हिम्मतपुर बेला, डूंगरपुरी, गोपालपुर आदि के किसानों की भूमि पर भारी मात्रा में सफेद उपखनिज छोड़ दिया था। इससे किसानों की फसल तबाह हो गई थी। बालावाली के प्रधान रमेश चंद, रामसहायवाला व हिम्मतपुर बेला के प्रधान सहित डूंगरपुर के प्रधान मेघराज, गोपालपुर के प्रधान ब्रह्मपाल ने अवैध खनन रूकवाने के लिए डीएम व एसडीएम से शिकायत कर चुके हैं।
डीएम का कहना है-
जिलाधिकारी डा. सारिका मोहन का कहना है कि बालावाली क्षेत्र में हो रहे अवैध खनन के बारे में उन्हें जानकारी है। वह इसकी निगरानी कराने के साथ-साथ एक रिपोर्ट तैयार करा रही हैं। इसके लिए दोनों राज्यों के प्रशासन को एक साथ एक्शन लेना होगा।
पृथ्वी के प्रहरी: प्रदूषण के साए में हांफता जीवन (Dainik Jagran 18 April 2012)
मेरठ : एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की परछाई के बावजूद मेरठ में प्रदूषण नियंत्रण के लिए मेट्रो के कोई मानक अपनाए नहीं जा रहे हैं। नदियां भयावह स्तर तक जहरीली हो चुकी हैं, जबकि भूगर्भ जल में धीरे-धीरे भारी रासायनिक तत्वों की उपस्थिति दर्ज होने लगी है। पांच जिलों के मध्य बंटी हरियाली को विवादों की छाया निगल रही है। ई-कचरे की भयावहता से प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अंजान है। विशेषज्ञों की मानें तो आगामी दस वर्षो में मेरठ में प्रदूषण असाध्य स्तर तक पहुंच जाएगा।
जहर बना जीवनदायी जल
नदियों में औद्योगिक कचरों की खतरनाक उपस्थिति है। काली नदी पूर्वी एवं पश्चिमी में सैकड़ों उद्योगों का कचरा शोधन किए बगैर ही डाला जा रहा है। जिन उद्योगों में ईटीपी प्लांट लगे हैं, उनमें से 70 फीसदी खराब पड़े हैं। वाहन चेसिस, कैंची, बैंड, ज्वैलरी एवं लाइट इंजीनियरिंग सेक्शन में इलेक्ट्रोप्लेंटिंग में विश्व में प्रतिबंधित भयावह रसायनों का प्रयोग किया जा रहा है। नीर फाउंडेशन के निदेशक रमन त्यागी की आरटीआइ से खुलासा हुआ कि परिक्षेत्र में चल रही कुल 31 औद्योगिक इकाइयों में से रोजाना करीब 95 हजार किलोलीटर भूगर्भ जल निकाला जा रहा है। 42 हजार किलोलीटर पानी काली नदी पूर्वी में गिराया जा रहा है। कमेलों से 1130 किलोलीटर अवशिष्ट नदी में डाला जा रहा है।
हरे-भरे वादे, रुखे-सूखे काम
वर्ष 2011 जून में आठ सरकारी विभागों ने बरसात के दौरान सघन पौधरोपण कर पर्यावरण को हरा-भरा करने की हुंकार भरी, किंतु दिसंबर तक इनमें से छह विभागों ने एक भी पौधा नहीं लगाया।
विभाग लक्ष्य रोपे गए पौधे
ग्राम्य विकास 1,31,950 1,310 486
ऊर्जा विभाग 2600 1475
उद्योग विभाग 9750 3250
आवास एवं शहरी 65,000 40,500
नियोजन
लोक निर्माण 8450 7500
भूमि एवं जल संशोधन 3900 2210
वन विभाग 1,78,100 2,14,947
सूख चुके हैं 30 फीसदी पौधे
मनरेगा के कारण फंड मिलने में देरी से हरियाली बचाने में दिक्कत आई। वन विभाग को पहली किस्त में सिर्फ 23 लाख रुपये मिले, जबकि करीब दो करोड़ का बजट तय हुआ था।
ये कहते हैं अधिकारी
जिला वन अधिकारी ललित वर्मा का कहना है कि वन विभाग को कैंपा निधि से 39 लाख रुपये मिले हैं, जिसे हाइवे के किनारे पौधरोपण पर खर्च किया जाएगा।
ये कहते हैं संगठन
जनहित फाउंडेशन की निदेशक अनीता राणा कहती हैं कि वेस्ट की नदियां कचरे में तब्दील हो गई हैं। सरकारी विभागों को वाटर रिचार्ज एवं प्रकृति की सेहत बचाने को भागीरथ प्रयास का एजेंडा तैयार करना होगा।
ये कहते हैं डाक्टर
स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. किरन गुगलानी कहती हैं कि कंस्ट्रक्शन कारोबार वाली महिलाओं में रक्ताल्पता एवं क्षय रोग की आशंका बढ़ी है। घनी बस्तियों में दमे के रोगी मिल रहे हैं, जबकि हवा में सीसे एवं सल्फर की भयावह मात्रा में स्त्रियों की गर्भधारण क्षमता में कमी आई है।
जहर बना जीवनदायी जल
नदियों में औद्योगिक कचरों की खतरनाक उपस्थिति है। काली नदी पूर्वी एवं पश्चिमी में सैकड़ों उद्योगों का कचरा शोधन किए बगैर ही डाला जा रहा है। जिन उद्योगों में ईटीपी प्लांट लगे हैं, उनमें से 70 फीसदी खराब पड़े हैं। वाहन चेसिस, कैंची, बैंड, ज्वैलरी एवं लाइट इंजीनियरिंग सेक्शन में इलेक्ट्रोप्लेंटिंग में विश्व में प्रतिबंधित भयावह रसायनों का प्रयोग किया जा रहा है। नीर फाउंडेशन के निदेशक रमन त्यागी की आरटीआइ से खुलासा हुआ कि परिक्षेत्र में चल रही कुल 31 औद्योगिक इकाइयों में से रोजाना करीब 95 हजार किलोलीटर भूगर्भ जल निकाला जा रहा है। 42 हजार किलोलीटर पानी काली नदी पूर्वी में गिराया जा रहा है। कमेलों से 1130 किलोलीटर अवशिष्ट नदी में डाला जा रहा है।
हरे-भरे वादे, रुखे-सूखे काम
वर्ष 2011 जून में आठ सरकारी विभागों ने बरसात के दौरान सघन पौधरोपण कर पर्यावरण को हरा-भरा करने की हुंकार भरी, किंतु दिसंबर तक इनमें से छह विभागों ने एक भी पौधा नहीं लगाया।
विभाग लक्ष्य रोपे गए पौधे
ग्राम्य विकास 1,31,950 1,310 486
ऊर्जा विभाग 2600 1475
उद्योग विभाग 9750 3250
आवास एवं शहरी 65,000 40,500
नियोजन
लोक निर्माण 8450 7500
भूमि एवं जल संशोधन 3900 2210
वन विभाग 1,78,100 2,14,947
सूख चुके हैं 30 फीसदी पौधे
मनरेगा के कारण फंड मिलने में देरी से हरियाली बचाने में दिक्कत आई। वन विभाग को पहली किस्त में सिर्फ 23 लाख रुपये मिले, जबकि करीब दो करोड़ का बजट तय हुआ था।
ये कहते हैं अधिकारी
जिला वन अधिकारी ललित वर्मा का कहना है कि वन विभाग को कैंपा निधि से 39 लाख रुपये मिले हैं, जिसे हाइवे के किनारे पौधरोपण पर खर्च किया जाएगा।
ये कहते हैं संगठन
जनहित फाउंडेशन की निदेशक अनीता राणा कहती हैं कि वेस्ट की नदियां कचरे में तब्दील हो गई हैं। सरकारी विभागों को वाटर रिचार्ज एवं प्रकृति की सेहत बचाने को भागीरथ प्रयास का एजेंडा तैयार करना होगा।
ये कहते हैं डाक्टर
स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. किरन गुगलानी कहती हैं कि कंस्ट्रक्शन कारोबार वाली महिलाओं में रक्ताल्पता एवं क्षय रोग की आशंका बढ़ी है। घनी बस्तियों में दमे के रोगी मिल रहे हैं, जबकि हवा में सीसे एवं सल्फर की भयावह मात्रा में स्त्रियों की गर्भधारण क्षमता में कमी आई है।
बीडीएस व डॉग स्क्वॉड ने खंगाले गंगा घाट (Dainik Jagran 17 April 2012)
-एसपी सिटी के नेतृत्व में दल ने रात को सुरक्षा इंतजामों को खंगाला -पीएसी, कमांडों के साथ ही बड़ी संख्या में पुलिस रहेगी तैनात
वाराणसी : मां गंगा की धारा को 'अविरल निर्मल' बनाने के लिए चल रहे आंदोलन के क्रम में मंगलवार को प्रस्तावित गंगा महाकुंभ को लेकर सुरक्षा इंतजाम खासे कड़े कर दिए गए हैं। एसपी सिटी संतोष सिंह के नेतृत्व में पुलिस बल ने सोमवार दोपहर व फिर रात करीब 11 बजे गंगा के घाटों का निरीक्षण किया। बम डिस्पोजल स्क्वॉड (बीडीएस) व डॉग स्क्वॉड ने भी घाटों की सघन तलाशी ली। मंगलवार के लिए घाटों पर भारी सुरक्षा बल तैनात कर दिया गया है। यह बल सुबह से ही मोर्चा संभाल लेगा।
गंगा महाकुंभ को लेकर किए गए सुरक्षा इंतजामों की जानकारी देते हुए एसपी सिटी संतोष सिंह ने बताया कि गंगा में इस दौरान मोटर बोट के माध्यम से पुलिस पेट्रोलिंग करेगी। जलपुलिस के गोताखोर विभिन्न घाटों पर तैनात किए गए हैं। घाटों पर निगरानी चौकस की जा रही है। नगर के थानों के साथ ही ग्रामीण थानों की पुलिस भी तैनात की गई है। पीएसी व कमांडों की भी तैनाती की गई है। इसके अतिरिक्त बम डिस्पोजल स्क्वॉड व डॉग स्क्वॉड भी घाटों पर लगातार भ्रमण करता रहेगा। एसपी सिटी ने दौरान नदी में स्नान के दौरान गहरे पानी से दूर रहने, बच्चों को नदी में न उतारने आदि की भी अपील की।
वाराणसी : मां गंगा की धारा को 'अविरल निर्मल' बनाने के लिए चल रहे आंदोलन के क्रम में मंगलवार को प्रस्तावित गंगा महाकुंभ को लेकर सुरक्षा इंतजाम खासे कड़े कर दिए गए हैं। एसपी सिटी संतोष सिंह के नेतृत्व में पुलिस बल ने सोमवार दोपहर व फिर रात करीब 11 बजे गंगा के घाटों का निरीक्षण किया। बम डिस्पोजल स्क्वॉड (बीडीएस) व डॉग स्क्वॉड ने भी घाटों की सघन तलाशी ली। मंगलवार के लिए घाटों पर भारी सुरक्षा बल तैनात कर दिया गया है। यह बल सुबह से ही मोर्चा संभाल लेगा।
गंगा महाकुंभ को लेकर किए गए सुरक्षा इंतजामों की जानकारी देते हुए एसपी सिटी संतोष सिंह ने बताया कि गंगा में इस दौरान मोटर बोट के माध्यम से पुलिस पेट्रोलिंग करेगी। जलपुलिस के गोताखोर विभिन्न घाटों पर तैनात किए गए हैं। घाटों पर निगरानी चौकस की जा रही है। नगर के थानों के साथ ही ग्रामीण थानों की पुलिस भी तैनात की गई है। पीएसी व कमांडों की भी तैनाती की गई है। इसके अतिरिक्त बम डिस्पोजल स्क्वॉड व डॉग स्क्वॉड भी घाटों पर लगातार भ्रमण करता रहेगा। एसपी सिटी ने दौरान नदी में स्नान के दौरान गहरे पानी से दूर रहने, बच्चों को नदी में न उतारने आदि की भी अपील की।
गंगा ने फैलाई बाहें, जुड़ें घाट से सारी राहें (Dainik Jagran 17 April 2012)
अविरल-निर्मल गंगा अभियान
-निजी स्कूल प्रबंधकों ने शिक्षण संस्थानों को बंद रखने का किया एलान
-विभिन्न धर्मो के गुरुओं ने भी की जन भागीदारी की अपील
-भीड़ बढ़ने पर स्नानार्थियों को उस पार पहुंचाएंगे नाविक
वाराणसी, संवाददाता : प्रदूषण की पीड़ा और पानी की कमी से कराहती गंगा नें बाहें फैलाकर अपने बेटों को आवाज दी है। इस भरोसे से कि मंगलवार को नगर की सारी राहें गंगा तट से जुडें़ और उन राहों से होकर गंगा के घाटों तक पहुंची पूरी काशी गंगा की गोद में डुबकी लगा कर एक स्वर में संकल्प ले कि- बस अब और नहीं! मां तेरे उद्धार के लिए तेरे बेटे आज से संकल्पबद्ध हुए। गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए प्रस्तावित नूतन स्नान पर्व गंगा महाकुंभ की पूर्व संध्या पर गंगा तट तक पहुंचे हर काशीवासी ने कुछ ऐसा ही भाव मन में घुमड़ता महसूस किया। ऐसे ही कोमल भावों से प्रेरित काशी के नागरिक मंगलवार को गंगा तट तक जाएंगे और अपने तमाम संचित पुण्य गंगा को समर्पित कर उसकी धारा में डुबकी लगाएंगे। विशेष अवसर पर उनकी हर डुबकी गंगा के नाम होगी। इस दौरान अस्सी से लगायत आदिकेशव घाट जहां नगर की गंगा-जमुनी तहजीब की बानगी पेश करते नजर आएंगे। वहीं सभी चौरासी घाट काशी और गंगा के बीच जन्म-जन्मांतर के जज्बाती रिश्तों के भी साक्षी बनेंगे। महाकुंभ की पूर्व संध्या पर आलम यह कि नगर के विभिन्न धर्मो व सामाजिक सरोकारों से जुड़ा शायद ही कोई संगठन ऐसा बचा हो जिसने अपने-अपने स्तर से अपील जारी कर गंगा महाकुंभ में स्नान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित न की हो। यहां तक कि गंगा के सवाल पर काशी की नारी शक्ति भी गंगा चेतना यात्रा के माध्यम से आज सड़कों पर थी। अधिवक्ता समाज के दोनों प्रमुख संगठनों ने जहां गंगा स्नान के बाद ही न्यायालय का कार्य शुरू करने का फैसला किया तो उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ और राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने नगर के सभी शिक्षण संस्थानों को बंदकर गंगा महाकुंभ में हिस्सा लेने की घोषणा की है। बनारस बंद का भी आह्वान किया गया है। मांझी समाज ने स्नानार्थियों की सुविधा के लिए विभिन्न घाटों पर सुरक्षा के सभी संसाधनों के साथ तैनात रहने की घोषणा की है। हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई आदि सभी धर्मो के धर्माचार्यो ने भी एलान किया है कि महांकुंभ मजहबी दायरों से मुक्त होगा और सभी धर्म संप्रदायों के लोग गंगा की खातिर गंगा में डुबकी लगाएंगे। विभिन्न धार्मिक व सामाजिक संगठनों की ओर से नगर में सरकार की बुद्धि-शुद्धि के लिए हवन-पूजन का क्रम आज भी जारी रहा तो जगह-जगह बैठक कर गंगा सेवा अभियान में पूरी हिस्सेदारी सुनिश्चित करने का संकल्प भी लिया गया। गंगा को लेकर साधु-संतों में व्याप्त क्षोभ का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि महाश्मशान नाथ मंदिर के अर्चक बाबा नागनाथ व चौधरी परिवार के बेटू जी, मौं मन्केश्वरी गंगा सेवा समिति के संस्थापक बच्चा यादव सहित काफी संख्या में लोगों ने उपवास किया और गंगा की अविरलता सुनिश्चित किये जाने की मांग की। सरकार को झकझोरने के लिए बाबा नागनाथ तो एक चिता पर भी जा बैठे लेकिन चौधरियों ने जीवित व्यक्ति को अग्नि देने से इंकार कर दिया। उधर हरसेवानंद स्कूल के बच्चों ने स्नान पर्व की पूर्व संध्या पर गढ़वा घाट पर विशाल मानव श्रृंखला बना कर लोगों से महाकुंभ में अधिकाधिक भागीदारी की अपील की।
इधर, अविछिन्न गंगा सेवा अभियानम् की बैठक में नगर व आसपास के ग्रामीण इलाकों से उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए गंगा भक्तों को अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी गई। तय किया गया कि घाटों पर भीड़ का दबाव बढ़ने पर नाविक समाज स्नानार्थियों को उस पार पहुंचाने का काम करेंगे। प्रमुख रूप से अस्सी, केदारघाट, राजेंद्रप्रसाद घाट, दशाश्वमेध घाट और शीतला घाट पर सुरक्षा के भी चौकस बंदोबस्त का निर्णय किया गया। बताया गया कि इस पर निगरानी रखने का काम अभियानम् से जुड़े गंगा भक्त करेंगे। अभियानम् के प्रदेश समन्वयक राकेशचंद्र पाण्डेय ने बताया कि सिर्फ शंकराचार्य घाट पर पूर्वाह्न नौ बजे साध्वी पूर्णाम्बा द्वारा आयोजित धार्मिक अनुष्ठान के बाद स्नान का क्रम शुरू हो जायेगा।
बाक्स..
अभियान क्या और क्यों
-दिन : 17 अप्रैल मंगलवार
-समय : सुबह सात से पूर्वाह्न 11 बजे
-मकसद : गंगा की अविरलता निर्मलता के लिए गंगा महाकुंभ का स्नान
-आयोजक : अविछिन्न गंगा सेवा अभियानम्
-स्थान : अस्सी से आदिकेशव घाट।
-निजी स्कूल प्रबंधकों ने शिक्षण संस्थानों को बंद रखने का किया एलान
-विभिन्न धर्मो के गुरुओं ने भी की जन भागीदारी की अपील
-भीड़ बढ़ने पर स्नानार्थियों को उस पार पहुंचाएंगे नाविक
वाराणसी, संवाददाता : प्रदूषण की पीड़ा और पानी की कमी से कराहती गंगा नें बाहें फैलाकर अपने बेटों को आवाज दी है। इस भरोसे से कि मंगलवार को नगर की सारी राहें गंगा तट से जुडें़ और उन राहों से होकर गंगा के घाटों तक पहुंची पूरी काशी गंगा की गोद में डुबकी लगा कर एक स्वर में संकल्प ले कि- बस अब और नहीं! मां तेरे उद्धार के लिए तेरे बेटे आज से संकल्पबद्ध हुए। गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए प्रस्तावित नूतन स्नान पर्व गंगा महाकुंभ की पूर्व संध्या पर गंगा तट तक पहुंचे हर काशीवासी ने कुछ ऐसा ही भाव मन में घुमड़ता महसूस किया। ऐसे ही कोमल भावों से प्रेरित काशी के नागरिक मंगलवार को गंगा तट तक जाएंगे और अपने तमाम संचित पुण्य गंगा को समर्पित कर उसकी धारा में डुबकी लगाएंगे। विशेष अवसर पर उनकी हर डुबकी गंगा के नाम होगी। इस दौरान अस्सी से लगायत आदिकेशव घाट जहां नगर की गंगा-जमुनी तहजीब की बानगी पेश करते नजर आएंगे। वहीं सभी चौरासी घाट काशी और गंगा के बीच जन्म-जन्मांतर के जज्बाती रिश्तों के भी साक्षी बनेंगे। महाकुंभ की पूर्व संध्या पर आलम यह कि नगर के विभिन्न धर्मो व सामाजिक सरोकारों से जुड़ा शायद ही कोई संगठन ऐसा बचा हो जिसने अपने-अपने स्तर से अपील जारी कर गंगा महाकुंभ में स्नान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित न की हो। यहां तक कि गंगा के सवाल पर काशी की नारी शक्ति भी गंगा चेतना यात्रा के माध्यम से आज सड़कों पर थी। अधिवक्ता समाज के दोनों प्रमुख संगठनों ने जहां गंगा स्नान के बाद ही न्यायालय का कार्य शुरू करने का फैसला किया तो उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ और राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने नगर के सभी शिक्षण संस्थानों को बंदकर गंगा महाकुंभ में हिस्सा लेने की घोषणा की है। बनारस बंद का भी आह्वान किया गया है। मांझी समाज ने स्नानार्थियों की सुविधा के लिए विभिन्न घाटों पर सुरक्षा के सभी संसाधनों के साथ तैनात रहने की घोषणा की है। हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई आदि सभी धर्मो के धर्माचार्यो ने भी एलान किया है कि महांकुंभ मजहबी दायरों से मुक्त होगा और सभी धर्म संप्रदायों के लोग गंगा की खातिर गंगा में डुबकी लगाएंगे। विभिन्न धार्मिक व सामाजिक संगठनों की ओर से नगर में सरकार की बुद्धि-शुद्धि के लिए हवन-पूजन का क्रम आज भी जारी रहा तो जगह-जगह बैठक कर गंगा सेवा अभियान में पूरी हिस्सेदारी सुनिश्चित करने का संकल्प भी लिया गया। गंगा को लेकर साधु-संतों में व्याप्त क्षोभ का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि महाश्मशान नाथ मंदिर के अर्चक बाबा नागनाथ व चौधरी परिवार के बेटू जी, मौं मन्केश्वरी गंगा सेवा समिति के संस्थापक बच्चा यादव सहित काफी संख्या में लोगों ने उपवास किया और गंगा की अविरलता सुनिश्चित किये जाने की मांग की। सरकार को झकझोरने के लिए बाबा नागनाथ तो एक चिता पर भी जा बैठे लेकिन चौधरियों ने जीवित व्यक्ति को अग्नि देने से इंकार कर दिया। उधर हरसेवानंद स्कूल के बच्चों ने स्नान पर्व की पूर्व संध्या पर गढ़वा घाट पर विशाल मानव श्रृंखला बना कर लोगों से महाकुंभ में अधिकाधिक भागीदारी की अपील की।
इधर, अविछिन्न गंगा सेवा अभियानम् की बैठक में नगर व आसपास के ग्रामीण इलाकों से उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए गंगा भक्तों को अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी गई। तय किया गया कि घाटों पर भीड़ का दबाव बढ़ने पर नाविक समाज स्नानार्थियों को उस पार पहुंचाने का काम करेंगे। प्रमुख रूप से अस्सी, केदारघाट, राजेंद्रप्रसाद घाट, दशाश्वमेध घाट और शीतला घाट पर सुरक्षा के भी चौकस बंदोबस्त का निर्णय किया गया। बताया गया कि इस पर निगरानी रखने का काम अभियानम् से जुड़े गंगा भक्त करेंगे। अभियानम् के प्रदेश समन्वयक राकेशचंद्र पाण्डेय ने बताया कि सिर्फ शंकराचार्य घाट पर पूर्वाह्न नौ बजे साध्वी पूर्णाम्बा द्वारा आयोजित धार्मिक अनुष्ठान के बाद स्नान का क्रम शुरू हो जायेगा।
बाक्स..
अभियान क्या और क्यों
-दिन : 17 अप्रैल मंगलवार
-समय : सुबह सात से पूर्वाह्न 11 बजे
-मकसद : गंगा की अविरलता निर्मलता के लिए गंगा महाकुंभ का स्नान
-आयोजक : अविछिन्न गंगा सेवा अभियानम्
-स्थान : अस्सी से आदिकेशव घाट।
राष्ट्र की जीवनधारा है गंगा उनकी रक्षा सभी का दायित्व (Dainik Jagran 17 April 2012)
राष्ट्र की जीवनधारा है गंगा उनकी रक्षा सभी का दायित्व
वाराणसी, प्रतिनिधि : पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद ने कहा कि गंगा मात्र नदी नहीं राष्ट्र की जीवन धारा है। उनकी रक्षा सभी का दायित्व है। इसके तरीके अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन लक्ष्य एक ही होना चाहिए।
शंकराचार्य दक्षिणामूर्ति पूर्वाम्नाय मठ अस्सी में भक्तों से मुखातिब थे। दर्शन के लिए आए श्रद्धालुओं को उन्होंने आशीवर्चन दिए। सदा राष्ट्र रक्षार्थ कर्म करने का आह्वान किया। साथ ही जानकीनगर (नगवां) स्थित भक्त के आवास को प्रस्थान कर गए। शंकराचार्य सायंकाल पटना मथुरा एक्सप्रेस ट्रेन से रेलवे स्टेशन पहुंचे थे। यहां अनुयायियों ने हर हर महादेव के उद्घोष से उनका स्वागत किया। पूरा स्टेशन शंकराचार्य की जयकार से गूंजता रहा। अस्सी स्थित मठ व जानकी नगर में दर्शन को लोगों की भीड़ लगी रही। मठ के महंत राजेश ब्रह्मचारी के अनुसार शंकराचार्य अस्सी मठ में 20 से 22 मार्च तक आयोजित साधना व राष्ट्र रक्षा शिविर के निमित्त यहां पधारे हैं। इसमें देश विदेश से एक हजार अनुयायी शिरकत करेंगे।
वाराणसी, प्रतिनिधि : पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद ने कहा कि गंगा मात्र नदी नहीं राष्ट्र की जीवन धारा है। उनकी रक्षा सभी का दायित्व है। इसके तरीके अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन लक्ष्य एक ही होना चाहिए।
शंकराचार्य दक्षिणामूर्ति पूर्वाम्नाय मठ अस्सी में भक्तों से मुखातिब थे। दर्शन के लिए आए श्रद्धालुओं को उन्होंने आशीवर्चन दिए। सदा राष्ट्र रक्षार्थ कर्म करने का आह्वान किया। साथ ही जानकीनगर (नगवां) स्थित भक्त के आवास को प्रस्थान कर गए। शंकराचार्य सायंकाल पटना मथुरा एक्सप्रेस ट्रेन से रेलवे स्टेशन पहुंचे थे। यहां अनुयायियों ने हर हर महादेव के उद्घोष से उनका स्वागत किया। पूरा स्टेशन शंकराचार्य की जयकार से गूंजता रहा। अस्सी स्थित मठ व जानकी नगर में दर्शन को लोगों की भीड़ लगी रही। मठ के महंत राजेश ब्रह्मचारी के अनुसार शंकराचार्य अस्सी मठ में 20 से 22 मार्च तक आयोजित साधना व राष्ट्र रक्षा शिविर के निमित्त यहां पधारे हैं। इसमें देश विदेश से एक हजार अनुयायी शिरकत करेंगे।
अब शहर की संभालें कमान (Dainik Jagran 17 April 2012)
वाराणसी : युवा व अनुभव के सामंजस्य के बीच सोमवार को काशी विश्वनाथ से आशीर्वाद लेने के बाद कार्यभार संभालने वाले आला अधिकारियों से लोगों की उम्मीदें बढ़ गई हैं।
पिछले कई वर्षो से अतिक्रमण के जाल में फंसे शहर का विकास अवरुद्ध है। सड़कें दिनोंदिन सिकुड़ती जा रही है। नालियों पर कब्जा हो गया है। जिसका जहां मन करता है सड़क पर दुकान खोलकर बैठ जाता है। साफ-सफाई का आलम यह है कि निजी हाथों में व्यवस्था जाने के बाद और गंदगी फैल गई है। जिस रास्ते निकल जाइए कूड़े का अंबार मिलेगा। ट्रैफिक जाम के बारे में तो सर्वविदित है। यहां तक कि ट्रैफिक पुलिस में नई भर्ती वालों को यह कहकर बनारस भेजा जाता है कि यहां की व्यवस्था जिसने संभाल लिया वह दुनिया के किसी कोने में कितना भी जाम क्यों न हो, सब मिनटों में ठीक कर लेगा। सड़कों के बारे में तो बच्चा भी अपनी वेदना बता देगा कि स्कूल जाते-आते समय उसे अपने किताब-कापियों से भरे बैग के साथ टूटी-फूटी सड़कों पर किस तरह बच बचाके गुजरना पड़ता है। सीवर के नाम पर अनियोजित तरीके से पहले यहां-वहां सड़कें खोद दी गईं फिर उसे बनाने में गोलमाल। लंका के सुनील कहते हैं कि भगवान का शुक्र है कि इन क्षतिग्रस्त सड़कों के चलते अब तक कोई ऐसी दुर्घटना नहीं हुई है जो आग में घी डालने का काम करे। जिस दिन ऐसा हो गया कानून - व्यवस्था संभालना भारी पड़ जाएगा। मूलभूत सुविधाओं का दंश झेल रहे नगरवासियों को नवागत अधिकारियों से उम्मीद जगी है कि वे इस दिशा में ठोस व प्रभावी कदम उठाएंगे, न कि पूर्ववर्ती अधिकारियों की तरह कागजों के शेर बनकर ही रह जाएंगे।
पिछले कई वर्षो से अतिक्रमण के जाल में फंसे शहर का विकास अवरुद्ध है। सड़कें दिनोंदिन सिकुड़ती जा रही है। नालियों पर कब्जा हो गया है। जिसका जहां मन करता है सड़क पर दुकान खोलकर बैठ जाता है। साफ-सफाई का आलम यह है कि निजी हाथों में व्यवस्था जाने के बाद और गंदगी फैल गई है। जिस रास्ते निकल जाइए कूड़े का अंबार मिलेगा। ट्रैफिक जाम के बारे में तो सर्वविदित है। यहां तक कि ट्रैफिक पुलिस में नई भर्ती वालों को यह कहकर बनारस भेजा जाता है कि यहां की व्यवस्था जिसने संभाल लिया वह दुनिया के किसी कोने में कितना भी जाम क्यों न हो, सब मिनटों में ठीक कर लेगा। सड़कों के बारे में तो बच्चा भी अपनी वेदना बता देगा कि स्कूल जाते-आते समय उसे अपने किताब-कापियों से भरे बैग के साथ टूटी-फूटी सड़कों पर किस तरह बच बचाके गुजरना पड़ता है। सीवर के नाम पर अनियोजित तरीके से पहले यहां-वहां सड़कें खोद दी गईं फिर उसे बनाने में गोलमाल। लंका के सुनील कहते हैं कि भगवान का शुक्र है कि इन क्षतिग्रस्त सड़कों के चलते अब तक कोई ऐसी दुर्घटना नहीं हुई है जो आग में घी डालने का काम करे। जिस दिन ऐसा हो गया कानून - व्यवस्था संभालना भारी पड़ जाएगा। मूलभूत सुविधाओं का दंश झेल रहे नगरवासियों को नवागत अधिकारियों से उम्मीद जगी है कि वे इस दिशा में ठोस व प्रभावी कदम उठाएंगे, न कि पूर्ववर्ती अधिकारियों की तरह कागजों के शेर बनकर ही रह जाएंगे।
पांच दिन से झेल रहे हैं पानी की किल्लत (Nav Bharat Times 17 April 2012)
गंगा वॉटर सप्लाई के लिए प्रताप विहार से आने वाली मेन पाइपलाइन में बड़ा छेद हो जाने के चलते भारी मात्रा में पांच दिनों से पानी बर्बाद हो रहा है। इसकी वजह से लोगों को पानी नहीं मिल पा रहा है।
पाइपलाइन जगह - जगह टूट गई है
बृजविहार स्थित पानी की टंकी से पूरे इलाके में गंगा वॉटर की सप्लाई की जाती है। गंगा वॉटर सप्लाई के लिए इस टंकी को प्रताप विहार स्थित गंगा वॉटर प्लांट से आ रही मेन पाइपलाइन से कनैक्ट किया गया है। इसमें पांच दिन पूर्व बड़ा छेद हो जाने के चलते पानी की बर्बादी हो रही है। इससे लोगों को पानी की समस्या से भी जूझना पड़ रहा है। बताया गया है कि इस इलाकेमें ढाई हजार किलो लीटर क्षमता वाली पानी की टंकी है। जगह - जगह से मेन पाइपलाइन टूटी हुई है।
शिकायत के बावजूद नहीं समाधान
यहां पर स्थित पांचों कॉलोनी की आरडब्ल्यूए एससीआरआरबी के जनसंर्पक पदाधिकारी पी . के . शर्मा का कहना है कि इस इलाके के लोगों को पांच दिनों से पानी के लिए जूझना पड़ रहा है। इसके लिए वे निगम अधिकारियों से शिकयत और प्रदर्शन भी कर चुके हैं। उसके बावजूद अब तक इस समस्या से निजात नहीं मिल पाई है।
वॉटर वर्क्स डिपार्टमेंट का है कहना
वॉटर वर्क्स केजेई योगेश श्रीवास्तव का कहना है कि पानी को साफ करने के लिए क्लोरीन डाली जाती है। यह पाइपलाइन को गलाती भी है। इसकेचलते इस पाइपलाइन में छेद हुआ होगा। इसे जल्द ही दिखवाकर ठीक करा दिया जाएगा।
पाइपलाइन जगह - जगह टूट गई है
बृजविहार स्थित पानी की टंकी से पूरे इलाके में गंगा वॉटर की सप्लाई की जाती है। गंगा वॉटर सप्लाई के लिए इस टंकी को प्रताप विहार स्थित गंगा वॉटर प्लांट से आ रही मेन पाइपलाइन से कनैक्ट किया गया है। इसमें पांच दिन पूर्व बड़ा छेद हो जाने के चलते पानी की बर्बादी हो रही है। इससे लोगों को पानी की समस्या से भी जूझना पड़ रहा है। बताया गया है कि इस इलाकेमें ढाई हजार किलो लीटर क्षमता वाली पानी की टंकी है। जगह - जगह से मेन पाइपलाइन टूटी हुई है।
शिकायत के बावजूद नहीं समाधान
यहां पर स्थित पांचों कॉलोनी की आरडब्ल्यूए एससीआरआरबी के जनसंर्पक पदाधिकारी पी . के . शर्मा का कहना है कि इस इलाके के लोगों को पांच दिनों से पानी के लिए जूझना पड़ रहा है। इसके लिए वे निगम अधिकारियों से शिकयत और प्रदर्शन भी कर चुके हैं। उसके बावजूद अब तक इस समस्या से निजात नहीं मिल पाई है।
वॉटर वर्क्स डिपार्टमेंट का है कहना
वॉटर वर्क्स केजेई योगेश श्रीवास्तव का कहना है कि पानी को साफ करने के लिए क्लोरीन डाली जाती है। यह पाइपलाइन को गलाती भी है। इसकेचलते इस पाइपलाइन में छेद हुआ होगा। इसे जल्द ही दिखवाकर ठीक करा दिया जाएगा।
गंदे पानी की सप्लाई से लोग परेशान (Nav Bharat Times 17 April 2012)
बृज विहार इलाके में एक हफ्ते से हो रही गंदे और बदबूदार पानी की के चलते स्थानीय निवासियों को परेशानी उठानी पड़ रही है। इलाके के मकान नंबर-डी-29, 29 ए, 29 बी, डी-30, 30 ए, 30 बी, डी-31, 31 ए, 31 बी, 32ए, 32 बी में गंदे व बदबूदार पानी की आपूर्ति हो रही है।
स्थानीय निवासी श्याम कुमार का कहना है कि एक हफ्ते से गंदे पानी की आपूर्ति हो रही है। उन्होंने बताया कि पानी न तो सुबह साफ आ रहा है न ही शाम को। इसके चलते आधी रात को उठकर पानी चेक करना पड़ता है। इसके अलावा सुबह सुबह तो पानी न होने की वजह से बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण ऑफिस जाने में भी देर हो जाती है। एक और निवासी राजकुमार ने बताया कि पानी इतना गंदा है कि उसे किसी भी काम में प्रयोग नहीं किया जा सकता। यह समस्या पिछले एक हफ्ते से बनी हुई है। अब गर्मी के दिनों में अगर इसी तरह से पानी की आपूर्ति हुई तो बीमारियां भी फैलेंगी।
लोगों का कहना है कि गंदा पानी क्यों आता है इस बारे में विभाग के लोग कुछ भी बताने को तैयार नहीं है। महंगाई के इस दौर में हमारे ऊपर दोहरी मार पड़ रही है। पानी के लिए मोटर चलाते हैं और बिजली का बिल भी आता हैं। लेकिन पानी इतना गंदा आता है कि उसे किसी भी काम में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
बृज विहार इलाके में गंदे पानी की सप्लाई की हो रही है ऐसी कोई शिकायत इलाके के लोगों की ओर से उनके पास नहीं आई है। अगर ऐसी कोई शिकायत आती है, तो उसका जल्द से जल्द निपटारा किया जाएगा।
योगेश श्रीवास्तव, जेई, नगर निगम
स्थानीय निवासी श्याम कुमार का कहना है कि एक हफ्ते से गंदे पानी की आपूर्ति हो रही है। उन्होंने बताया कि पानी न तो सुबह साफ आ रहा है न ही शाम को। इसके चलते आधी रात को उठकर पानी चेक करना पड़ता है। इसके अलावा सुबह सुबह तो पानी न होने की वजह से बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण ऑफिस जाने में भी देर हो जाती है। एक और निवासी राजकुमार ने बताया कि पानी इतना गंदा है कि उसे किसी भी काम में प्रयोग नहीं किया जा सकता। यह समस्या पिछले एक हफ्ते से बनी हुई है। अब गर्मी के दिनों में अगर इसी तरह से पानी की आपूर्ति हुई तो बीमारियां भी फैलेंगी।
लोगों का कहना है कि गंदा पानी क्यों आता है इस बारे में विभाग के लोग कुछ भी बताने को तैयार नहीं है। महंगाई के इस दौर में हमारे ऊपर दोहरी मार पड़ रही है। पानी के लिए मोटर चलाते हैं और बिजली का बिल भी आता हैं। लेकिन पानी इतना गंदा आता है कि उसे किसी भी काम में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
बृज विहार इलाके में गंदे पानी की सप्लाई की हो रही है ऐसी कोई शिकायत इलाके के लोगों की ओर से उनके पास नहीं आई है। अगर ऐसी कोई शिकायत आती है, तो उसका जल्द से जल्द निपटारा किया जाएगा।
योगेश श्रीवास्तव, जेई, नगर निगम
‘जहरीला’ हुआ पानी, मुश्किल में बच्चों की जिंदगानी (Amar Ujala 17 April 2012)
महानगर में गहराया पेयजल संकट, स्कूल भी आए चपेट में 700 में से 523 पेयजल के नमूने फेल, सो रहा प्रशासन स्कूलों में भी पीने लायक पानी नहीं, पेरेंट्स हो जाएं सचेत बीते छह माह से कार्रवाई का इंतजार कर रही रिपोर्ट
गाजियाबाद। आपका बच्चा अगर स्कूल जाता है तो इस खबर पर जरूर नजर डालें। महानगर के ज्यादातर स्कूलों के पेयजल नमूने मानके के अनुरूप नहीं हैं। ऐसे में स्कूलों में मुहैया कराया जा रहा पेयजल आपके नौनिहाल की हालत खराब कर सकता है। महानगर के स्कूलों में मुहैया कराए जा रहे अधोमानक पेयजल का शोर स्वास्थ्य निदेशक संचारी रोग लखनऊ तक पहुंच गया है, लेकिन स्थानीय अधिकारियों की नींद है कि टूटने का नाम नहीं ले रही। पिछले तीन माह में महानगर के करीब 700 पेयजल नमूनों में से 523 फेल निकले हैं। विद्यालयों के करीब 400 नमूनों में से 350 अधोमानक निकले हैं। नमूने अधोमानक होने के साथ संक्रमित भी पाए गए हैं।
कौन है आखिर जिम्मेदार
नेहरू नगर, पटेल नगर, शास्त्री नगर, लोहिया नगर, गांधी नगर, विजय नगर, डूंडा हेडा और इंदिरापुरम सहित महानगर के करीब हर क्षेत्र के पानी के नमूने अधोमानक निकले हैं। निदेशक संचारी रोग ने पत्रांक संख्या 1752 में इसका सेवन करने वालों की सेहत पर चिंता प्रकट करने के साथ ही भविष्य में अप्रिय स्थिति की चेतावनी देते हुए कार्रवाई को लिखा गया है। कार्रवाई की फाइल नगर निगम और सीएमओ के बीच झूल रही है। पिछले छह माह से यह तय नहीं हो पाया है कि आखिर कार्रवाई कौन करेगा।
पेयजल की जिम्मेदारी जल निगम की होती है। ऐसे में सीएमओ कार्यालय से कार्रवाई के लिए जीएम जलकल को लिखा गया है। जीएम जलकल बाबूलाल का कहना है कि जिन विद्यालयों के नमूने अधोमानक निकले हैं, वह अपना पानी प्रयोग में लाते हैं। ऐसे में जलनिगम कार्रवाई नहीं कर सकता।
मोदीनगर-हापुड़ के सभी 300 नमूने फेल
मोदीनगर और हापुड़ क्षेत्रों से लिए गए पेयजल के 300 नमूने भी अधोमानक मिले हैं। इनकी रिपोर्ट भी जीएम जलकल को प्राप्त हो गई है। अब कार्रवाई के लिए डीएम की ओर देखा जा रहा है। सेहत और जीवन से जुड़ी इस समस्या पर कार्रवाई डीएम स्तर से ही होगी।
गाजियाबाद। आपका बच्चा अगर स्कूल जाता है तो इस खबर पर जरूर नजर डालें। महानगर के ज्यादातर स्कूलों के पेयजल नमूने मानके के अनुरूप नहीं हैं। ऐसे में स्कूलों में मुहैया कराया जा रहा पेयजल आपके नौनिहाल की हालत खराब कर सकता है। महानगर के स्कूलों में मुहैया कराए जा रहे अधोमानक पेयजल का शोर स्वास्थ्य निदेशक संचारी रोग लखनऊ तक पहुंच गया है, लेकिन स्थानीय अधिकारियों की नींद है कि टूटने का नाम नहीं ले रही। पिछले तीन माह में महानगर के करीब 700 पेयजल नमूनों में से 523 फेल निकले हैं। विद्यालयों के करीब 400 नमूनों में से 350 अधोमानक निकले हैं। नमूने अधोमानक होने के साथ संक्रमित भी पाए गए हैं।
कौन है आखिर जिम्मेदार
नेहरू नगर, पटेल नगर, शास्त्री नगर, लोहिया नगर, गांधी नगर, विजय नगर, डूंडा हेडा और इंदिरापुरम सहित महानगर के करीब हर क्षेत्र के पानी के नमूने अधोमानक निकले हैं। निदेशक संचारी रोग ने पत्रांक संख्या 1752 में इसका सेवन करने वालों की सेहत पर चिंता प्रकट करने के साथ ही भविष्य में अप्रिय स्थिति की चेतावनी देते हुए कार्रवाई को लिखा गया है। कार्रवाई की फाइल नगर निगम और सीएमओ के बीच झूल रही है। पिछले छह माह से यह तय नहीं हो पाया है कि आखिर कार्रवाई कौन करेगा।
पेयजल की जिम्मेदारी जल निगम की होती है। ऐसे में सीएमओ कार्यालय से कार्रवाई के लिए जीएम जलकल को लिखा गया है। जीएम जलकल बाबूलाल का कहना है कि जिन विद्यालयों के नमूने अधोमानक निकले हैं, वह अपना पानी प्रयोग में लाते हैं। ऐसे में जलनिगम कार्रवाई नहीं कर सकता।
मोदीनगर-हापुड़ के सभी 300 नमूने फेल
मोदीनगर और हापुड़ क्षेत्रों से लिए गए पेयजल के 300 नमूने भी अधोमानक मिले हैं। इनकी रिपोर्ट भी जीएम जलकल को प्राप्त हो गई है। अब कार्रवाई के लिए डीएम की ओर देखा जा रहा है। सेहत और जीवन से जुड़ी इस समस्या पर कार्रवाई डीएम स्तर से ही होगी।
दुखी मन से मनाया यमुना का उदगमदिवस (Dainik Jagran 29 March 2012)
यमुनानगर, जागरण संवाद केंद्र : यमुना बचाओ अभियान के तहत यमुना नदी का उदगमदिवस मनाने के लिए भगवान श्री कृष्ण की कर्मस्थली ब्रज से काफी संख्या में भक्त ब्रज बरसान मंदिर मंदिर सेवा संस्थान के जयकिशन दास जी के नेतृत्व में हथनीकुंड बैराज पर आए। यहां पर साधु महात्माओं ने यमुना जी की पूजा अर्चना की और स्नान के बाद यमुना की आरती उतारी। सभी श्रद्धा भाव में यमुना जी का उदगमदिवस मनाने के लिए आए थे, लेकिन वे यमुना की दयनीय हालत को देखकर मन से दुखी थे। सभी ने प्रण लिया कि वे यमुना को गंदा नहीं होने देंगे।
यमुना की पूजा करने के बाद सभी साधु बूड़िया चौक स्थित प्रकाश मंडप पैलेस में एकत्रित हुए। यहां पर श्री कृष्ण कृपा सेवा समिति द्वारा सभी का स्वागत किया गया। लोगों को संबोधित करते हुए जयकिशन दास जी ने कहा कि यमुना नदी को साफ करने का बीड़ा रमेश बाबा महाराज जी ने उठाया है। उनके नेतृत्व में ही यह कार्यक्रम चल रहा है। आज यमुना नदी का जल दूषित होता जा रहा है। जिसे देख कर मन बहुत ही दुखी होता है। हथनीकुंड बैराज पर यमुना का जल स्वच्छ है, लेकिन यह जिस भी प्रदेश से गुजरती है वहां के लोगों द्वारा इसमें गंदे नाले गिराए जा रहे हैं। कारखानों का गंदा पानी बिना ट्रीट किए यमुना में गिर रहा है। दिल्ली और दिल्ली से मथुरा वृंदावन क्षेत्र में पहुंचते हुए यमुना का पानी जहरीला हो जाता है। इसलिए आज हमें यमुना को बचाने का प्रण लेना है।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह ने यमुना के मैला होने के लिए हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश की सरकारों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारें सभी जानती हैं फिर भी यमुना की सफाई के लिए ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा। उन्होंने सरकार से अपील करी कि हिंदुओं की आस्था से खिलवाड़ ना करते हुए यमुना को साफ कर ब्रज धाम तक साफ पानी पहुंचाया जाए। श्यामा नंद जी महाराज ने कहा कि यमुना प्रदूषित करने में जहां सरकारें जिम्मेदार हैं, वहीं हम भी कूड़ा-कचरा यमुना में डाल कर उनका अपमान कर रहे हैं। इसलिए सबसे पहले हमें खुद को सुधारना होगा। श्री कृष्ण कृपा सेवा समिति के संरक्षक समाज सेवक लाल अमरनाथ बंसल ने सभी संतों को आश्वासन दिया कि उनकी समिति यमुना को साफ करने के अभियान में तन, मन धन से साथ है।
मौके पर समिति के भारत भूषण बंसल, एसआर साहनी, देवकी नंदन, कृष्ण लाल छाबड़ा, केवल कृष्ण सैनी, नीरज कालड़ा सहित अन्य उपस्थित थे।
यमुना की पूजा करने के बाद सभी साधु बूड़िया चौक स्थित प्रकाश मंडप पैलेस में एकत्रित हुए। यहां पर श्री कृष्ण कृपा सेवा समिति द्वारा सभी का स्वागत किया गया। लोगों को संबोधित करते हुए जयकिशन दास जी ने कहा कि यमुना नदी को साफ करने का बीड़ा रमेश बाबा महाराज जी ने उठाया है। उनके नेतृत्व में ही यह कार्यक्रम चल रहा है। आज यमुना नदी का जल दूषित होता जा रहा है। जिसे देख कर मन बहुत ही दुखी होता है। हथनीकुंड बैराज पर यमुना का जल स्वच्छ है, लेकिन यह जिस भी प्रदेश से गुजरती है वहां के लोगों द्वारा इसमें गंदे नाले गिराए जा रहे हैं। कारखानों का गंदा पानी बिना ट्रीट किए यमुना में गिर रहा है। दिल्ली और दिल्ली से मथुरा वृंदावन क्षेत्र में पहुंचते हुए यमुना का पानी जहरीला हो जाता है। इसलिए आज हमें यमुना को बचाने का प्रण लेना है।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह ने यमुना के मैला होने के लिए हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश की सरकारों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारें सभी जानती हैं फिर भी यमुना की सफाई के लिए ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा। उन्होंने सरकार से अपील करी कि हिंदुओं की आस्था से खिलवाड़ ना करते हुए यमुना को साफ कर ब्रज धाम तक साफ पानी पहुंचाया जाए। श्यामा नंद जी महाराज ने कहा कि यमुना प्रदूषित करने में जहां सरकारें जिम्मेदार हैं, वहीं हम भी कूड़ा-कचरा यमुना में डाल कर उनका अपमान कर रहे हैं। इसलिए सबसे पहले हमें खुद को सुधारना होगा। श्री कृष्ण कृपा सेवा समिति के संरक्षक समाज सेवक लाल अमरनाथ बंसल ने सभी संतों को आश्वासन दिया कि उनकी समिति यमुना को साफ करने के अभियान में तन, मन धन से साथ है।
मौके पर समिति के भारत भूषण बंसल, एसआर साहनी, देवकी नंदन, कृष्ण लाल छाबड़ा, केवल कृष्ण सैनी, नीरज कालड़ा सहित अन्य उपस्थित थे।
यमुना जी को वृंदावन आने का निमंत्रण (Dainik Jagran 29 March 2010)
छछरौली, संवाद सूत्र : यमुना बचाओ अभियान और यमुना नदी के उदगमदिवस पर बृहस्पतिवार को वृंदावन से काफी संख्या में श्रद्धालु हथनीकुंड बैराज पर पहुचे। उन्होने पूजा अर्चना की और पूरी श्रद्धा और भक्ति से यमुना मैय्या के जयकारों के साथ छठ पर्व और यमुना नदी का उदगमदिन मनाया। जत्थे के महाराज जय किशनदास और इनके साथ चल रहे उत्तर प्रदेश के भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानू प्रताप ने बताया कि यह एक अभियान है जो कि यमुना को बचाने के बारे में पूरे देश में चलाया जा रहा है।
उन्होने कहा कि इसके लिए वृंदावन उत्तर प्रदेश में एक फरवरी से अखंड यज्ञ चलाया जा रहा है जो कि एक मार्च 2013 तक चलेगा। उसके बाद पूरे देश में पैदल यात्रा कर जन-जन को यमुना नदी की हो रही दुर्दशा और उसके महत्व के बारे में जागरूक किया जाएगा। उन्होने कहा कि इसके लिए उनका जत्था दिल्ली के जंतर-मंतर पर भी 15 दिन का अनशन कर चुका है, लेकिन वहा से राजनीतिक दबाव के कारण खाली हाथ ही लौटना पड़ा था। अब हिदू धर्म के अनुयायियों ने ही इसका बीड़ा उठाया है।
वृंदावन में पधारने का यमुना को निमंत्रण :
वृंदावन से हथनीकुंड बैराज पर आए सभी श्रद्धालुओं ने यमुना जी से प्रार्थना की कि वह उनके वृंदावन में पधारें। इसी के साथ सभी ने यमुना का स्वच्छ जल वृंदावन तक ले जाने की शपथ ली कि जब तक यमुना जी का स्वच्छ जल हमारे वृंदावन में नही पहुंचेगा तब तक वह चैन की सास नहीं लेंगे।
इस मौके पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रतन सिंह पहलवान, पदाधिकारी जयसमपाल सिंह, महासचिव हरीश कुमार, महाराज जय किशनदास मौजूद रहे।
उन्होने कहा कि इसके लिए वृंदावन उत्तर प्रदेश में एक फरवरी से अखंड यज्ञ चलाया जा रहा है जो कि एक मार्च 2013 तक चलेगा। उसके बाद पूरे देश में पैदल यात्रा कर जन-जन को यमुना नदी की हो रही दुर्दशा और उसके महत्व के बारे में जागरूक किया जाएगा। उन्होने कहा कि इसके लिए उनका जत्था दिल्ली के जंतर-मंतर पर भी 15 दिन का अनशन कर चुका है, लेकिन वहा से राजनीतिक दबाव के कारण खाली हाथ ही लौटना पड़ा था। अब हिदू धर्म के अनुयायियों ने ही इसका बीड़ा उठाया है।
वृंदावन में पधारने का यमुना को निमंत्रण :
वृंदावन से हथनीकुंड बैराज पर आए सभी श्रद्धालुओं ने यमुना जी से प्रार्थना की कि वह उनके वृंदावन में पधारें। इसी के साथ सभी ने यमुना का स्वच्छ जल वृंदावन तक ले जाने की शपथ ली कि जब तक यमुना जी का स्वच्छ जल हमारे वृंदावन में नही पहुंचेगा तब तक वह चैन की सास नहीं लेंगे।
इस मौके पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रतन सिंह पहलवान, पदाधिकारी जयसमपाल सिंह, महासचिव हरीश कुमार, महाराज जय किशनदास मौजूद रहे।
Thursday, April 12, 2012
No green nod for new Noida industries (Times of India 13 April 2012)
NEW DELHI: The National Green Tribunal ordered a ban on environmental clearances for any new industry or expansion of the existing ones in areas falling under New Okhla Industrial Development Authority (Noida) on Thursday. The order was in response to a petition filed by an area resident Sanjay Agnihotri, who had raised ecological concerns in Noida, the 12th most polluted zone in the country.
The two-judge bench of G K Pandey and A Suryanarayan Naidu said, "We direct that no further environmental clearance shall be granted to any of the new industrial units nor any operating industry shall be permitted to expand in Noida or change in product-mix nor consent to establish and operate in case of defaulting units should be granted without obtaining prior permission from this Tribunal." Taking the Central Pollution Control Board (CPCB) and NOIDA to task, the bench noted that despite repeated notices neither body had appeared before the court and it asked the member-secretary of CPCB and the chairperson or any other officer of the Authority to be present on May 8, the next day of hearing.
The court ordered the UP Pollution Control Board (UPPCB) to conduct on-the-spot inspections and submit a report to the bench about the extent of industrial pollution. It also directed UPPCB to take action against industries that are flouting green norms. It said, "The matter being very serious, UPPCB is directed to conduct spot inspection on war footing." The report is to include information on the number of industries not complying with environmental standards and regulations, the amount of hazardous waste being generated by each unit and plants operating without effluent treatment plants, besides other critical data. The CPCB has also been asked to conduct air quality survey in adjoining areas of Noida like Mayur Vihar, Vasundhara Enclave and villages located within a radius of 15 km from its border.
The petitioner had in his plea said that though the Union environment ministry put a moratorium on new industries in the cluster, it was removed later. He claimed the lifting of the moratorium in Noida was based on a spurious plea that "the local stakeholders have initiated some work on implementation of submitted action plans..."
The two-judge bench of G K Pandey and A Suryanarayan Naidu said, "We direct that no further environmental clearance shall be granted to any of the new industrial units nor any operating industry shall be permitted to expand in Noida or change in product-mix nor consent to establish and operate in case of defaulting units should be granted without obtaining prior permission from this Tribunal." Taking the Central Pollution Control Board (CPCB) and NOIDA to task, the bench noted that despite repeated notices neither body had appeared before the court and it asked the member-secretary of CPCB and the chairperson or any other officer of the Authority to be present on May 8, the next day of hearing.
The court ordered the UP Pollution Control Board (UPPCB) to conduct on-the-spot inspections and submit a report to the bench about the extent of industrial pollution. It also directed UPPCB to take action against industries that are flouting green norms. It said, "The matter being very serious, UPPCB is directed to conduct spot inspection on war footing." The report is to include information on the number of industries not complying with environmental standards and regulations, the amount of hazardous waste being generated by each unit and plants operating without effluent treatment plants, besides other critical data. The CPCB has also been asked to conduct air quality survey in adjoining areas of Noida like Mayur Vihar, Vasundhara Enclave and villages located within a radius of 15 km from its border.
The petitioner had in his plea said that though the Union environment ministry put a moratorium on new industries in the cluster, it was removed later. He claimed the lifting of the moratorium in Noida was based on a spurious plea that "the local stakeholders have initiated some work on implementation of submitted action plans..."
Tuesday, April 3, 2012
Sunday, April 1, 2012
Volunteers urge people not to pollute Yamuna with puja items (Hindustant Times 02 April 2012)
Taking a small step to prevent the Yamuna from getting more polluted, volunteers of a non government organisation stopped people from throwing puja items into the river on Sunday. According to Gopi Dutt Aakash, founder member and president of Youth Fraternity Foundation (YFF), an NGO Working to same Yamuna from pollution, hundreds of tonnes of plastic and other pollution material find their way into the river during the festival season.
“During last Navratras in October 2011, an estimated six lakh kilograms of puja items was thrown into River Yamuna in Delhi alone. We want to create a system where the sacred waste is collected directly and disposed of and recycled properly without causing any pollution in the river,” Aakash said.
Under the project ‘Pushpanjali Pravah’, the volunteers of YFF collected two truckloads of sacred waste from Yamuna Bridge on Vikas Marg on Saturday. The NGO put up banners on the iron grille along the bridge, requesting people not to throw any waste in the river.
Aakash said that they wanted to run the campaign on all the six road bridges on the Yamuna in Delhi but could only do it at Vikas Marg due to shortage of manpower. Short on resources, the volunteers let people dispose of biodegradable waste in the river and collected the non-biodegradable waste such as plastic and cloth.
“We make bags of cloth and plastic and agarbattis and manure out of flowers,” Aakash said.
We want to create a system where the sacred waste is collected diretly.
Volunteers stop people from throwing puja items into the river; banners were put up along the grille, requesting people to preserve Yamuna
“During last Navratras in October 2011, an estimated six lakh kilograms of puja items was thrown into River Yamuna in Delhi alone. We want to create a system where the sacred waste is collected directly and disposed of and recycled properly without causing any pollution in the river,” Aakash said.
Under the project ‘Pushpanjali Pravah’, the volunteers of YFF collected two truckloads of sacred waste from Yamuna Bridge on Vikas Marg on Saturday. The NGO put up banners on the iron grille along the bridge, requesting people not to throw any waste in the river.
Aakash said that they wanted to run the campaign on all the six road bridges on the Yamuna in Delhi but could only do it at Vikas Marg due to shortage of manpower. Short on resources, the volunteers let people dispose of biodegradable waste in the river and collected the non-biodegradable waste such as plastic and cloth.
“We make bags of cloth and plastic and agarbattis and manure out of flowers,” Aakash said.
We want to create a system where the sacred waste is collected diretly.
Volunteers stop people from throwing puja items into the river; banners were put up along the grille, requesting people to preserve Yamuna
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