Wednesday, December 21, 2011

गंगा सफाई में यूपी ने खड़े किए हाथ (Dainik Jagran 22 December 2011)

लखनऊ, जागरण ब्यूरो: गंगा को वर्ष 2020 तक निर्मल करने का लक्ष्य फिलहाल पूरा होता नहीं दिख रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार के पास गंगा नदी की सफाई के लिए पर्याप्त धन नहीं है, इसलिए सरकार नदी सफाई से जुड़ी तमाम योजनाओं पर वह केवल दस फीसदी अंशदान ही दे पाएगी। नदी सफाई योजनाओं पर शेष 90 फीसद खर्च केंद्र सरकार को वहन करना पड़ेगा। नए पेंच के बाद गंगा सफाई से जुड़ी योजनाओं पर विराम लगता दिख रहा है। यह फैसला बुधवार को राज्य गंगा नदी संरक्षण प्राधिकरण की बैठक में लिया गया। लोक निर्माण मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी की अध्यक्षता में हुई बैठक में तय हुआ कि केंद्र सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को फैसले से अवगत करा दिया जाए। राष्ट्रीय नदी गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गठित राष्ट्रीय गंगा नदी संरक्षण प्राधिकरण में यह तय किया गया था कि राज्य सरकार विभिन्न योजनाओं पर आने वाले खर्च का 30 फीसदी नदी सफाई पर वहन करेगी, जबकि 70 फीसदी अंश केंद्र का होगा। इसके तहत सात परियोजनाएं स्वीकृत भी की जा चुकी हैं जिन पर काम भी शुरू किया जा चुका है। इनमें मुरादाबाद, कन्नौज, गढ़मुक्तेश्वर व इलाहाबाद सहित वाराणसी की दो योजनाएं शामिल हैं। अब राज्य सरकार को यह कदम महंगा पड़ रहा है। कदम पीछे खींचते हुए उसने 30 फीसदी के स्थान पर दस फीसदी योगदान की हामी भरी है और गेंद केंद्र के पाले में डाल दी है। इसे देखते हुए गंगा को निर्मल करने की कोशिशों को फिलहाल झटका लग सकता है। पॉलीथीन प्रदूषण पर अंकुश न लगाने पर नसीमुद्दीन ने अधिकारियों को फटकार लगाई। उन्होंने नगर आयुक्त व जिलाधिकारियों को जिम्मेदारी याद दिलाते हुए कानून को प्रभावी तरीके से लागू कराने के निर्देश दिए।

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