Wednesday, December 21, 2011

यमुना किनारे सुनाई देगा पक्षियों का कलरव (Dainik Jagran 22 December 2011)

नई दिल्ली वह दिन दूर नहीं जब दिल्ली अपने पुराने समय में लौटेगी। यमुना के किनारे पक्षियों का कलरव गूंजेगा, भंवरों और मधु मक्खियों की गुंजन सुनाई देगी और इधर-उधर रंग-बिरंगी तितलियों का मंडराना देख सकेंगे। इसे यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क में दिल्ली विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक अंजाम देने जा रहे हैं। प्रयोग के तौर पर पहले फेज में बाहरी दिल्ली में 157 एकड़ में जिस बायोडायवर्सिटी पार्क को विकसित किया गया है वह प्रयोग सफल रहा है। इससे प्रभावित होकर उपराज्यपाल तेजेंद्र खन्ना ने इस योजना के दूसरे फेज में 300 एकड़ में शीघ्रता से काम करने के डीडीए और डीयू के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। यमुना डायवर्सिटी पार्क की योजना पर 2003 से काम शुरू किया गया था। यह कार्य डीडीए व दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंटर फार इन्वायरमेंटल मैनेजमेंट आफ डिगरेटेड इको सिस्टम्स एक साथ मिल कर रहे हैं। इसके हेड डीयू के प्रोफेसर व देश के जाने माने इकोलोजिस्ट प्रो.सी आर बाबू हैं। उनके नेतृत्व में 7 वैज्ञानिकों की टीम व डीडीए अधिकारी योजना पर काम कर रहे हैं। योजना के तहत 457 एकड़ क्षेत्र में वैज्ञानिक आधार पर हरियाली विकसित की जानी है। इसमें पशु पक्षियों, जीव जंतुओं को जीवन भी मिल सके। पहले चरण में 157 एकड़ में बाहरी दिल्ली में कोरेनेशन पार्क के पास बायोडायवर्सिटी पार्क विकसित किया गया। इसमें 1.8 किमी में कृत्रिम झील विकसित की है। इसे भी पेड़-पौधे व मछलियों से सज्जित किया गया। इस पर काम कर रहे डीयू के कीट वैज्ञानिक मोहम्मद फैसल कहते हैं कि झील में अब प्रति वर्ष यहां पर 3 हजार से लेकर 5 हजार साइबेरियन पक्षी पहुंचते हैं। पूरे एनसीआर में यह ऐसी झील है जहां पर यूरोप से प्रति वर्ष 30 से लेकर 40 तक रेड क्रिस्टल आती हैं। अब हैं यहां 190 प्रजाति के पक्षी हैं। पहले यहां मात्र 2 प्रजाति की तितलियां थीं और अब 55 प्रजाति की तितलियां व इल्ली हैं।

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