Sunday, September 18, 2011
अधर में कालिंदी बाईपास (Dainik Jagran 17 September 2011)
कालिंदी बाईपास योजना का निर्माण पिछले पांच वर्षो से रुका पड़ा होना निश्चित ही दुर्भाग्यपूर्ण है। इस योजना पर 52 करोड़ रुपये खर्च हो जाने के बाद अब इसके अधर में लटक जाने से न सिर्फ इतनी बड़ी धनराशि बेकार गई है, अपितु इससे लाभ मिलने की उम्मीद कर रहे लोगों को घोर निराशा भी हुई है। यह योजना लोक निर्माण विभाग की महत्वाकांक्षी परियोजना थी। योजना को लेकर एक ऐसी परिकल्पना की गई थी कि जिन लोगों को दिल्ली से बाहर आगरा की तरफ जाना होता या उधर से आना होता तो लोग हरियाणा के बल्लभगढ़ से पल्ला, मीठापुर, कालिंदीकुंज होते हुए सीधे आइटीओ तक आ-जा सकते। इसका प्रमुख उद्देश्य दिल्ली से आगरा के बीच लगने वाले समय को कम किया जाना था। इसके तैयार हो जाने से आश्रम से बदरपुर तक जाने में भी अपेक्षाकृत कम समय लगता। साथ ही फरीदाबाद जाने के रास्ते में आइटीओ से बदरपुर तक लगने वाले जाम में वाहन चालकों को नहीं जूझना पड़ता और उनके समय व ईंधन दोनों की बचत के साथ ही प्रदूषण भी कम होता। लेकिन 62 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ वर्ष 2003 में शुरू की गई इस योजना पर 2006 में कार्य बंद हो गया। इस दौरान सिर्फ 2.8 किलोमीटर की दूरी तक मिट्टी डालने का ही कार्य हुआ। अब हालात यह हैं कि जहां एक ओर यमुना के सौ मीटर के दायरे में निर्माण पर अदालती रोक है, वहीं जसोला के पास करीब डेढ़ किलोमीटर के हिस्से को लेकर उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग और दिल्ली विकास प्राधिकरण के बीच विवाद है। परियोजना के प्रथम चरण का कुछ भाग ओखला पक्षी विहार से होकर गुजरना है, जिस पर उत्तर प्रदेश का वन विभाग राजी नहीं है और यूपी सरकार परियोजना को सिंचाई विभाग की कॉलोनी व वीआइपी गेस्ट हाउस के नजदीक से गुजरने देने के लिए भी तैयार नहीं है। विभाग अब पूरी योजना को एलीवेटेड बनाने की सोच रहा है, जिसके लिए नए सिरे से कार्य करने के उद्देश्य से कंसल्टेंट की खोज की जा रही है। परियोजना से होने वाले लाभ को देखते हुए यह काफी महत्वपूर्ण है, लिहाजा इसे तैयार करने के लिए पूरी इच्छाशक्ति से प्रयास किए जाने चाहिए। विभाग को चाहिए कि वह योजना के मार्ग में आने वाली सभी रुकावटों को फौरन दूर कर इसका निर्माण कार्य जल्द से जल्द शुरू कराए।
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