Saturday, September 10, 2011

सड़कें बनीं नदियां, रेंगते रहे वाहन (Dainik Jagran 09 September 2011)

नई दिल्ली गुरुवार रात से शुरू हुई बारिश के कारण शुक्रवार का सवेरा सड़कों पर निकले राजधानी वासियों के लिए बुरे सपने सरीखा रहा। पिछले चौबीस घंटे में राजधानी में रिकार्ड 60.1 मिली बारिश दर्ज की गई। पानी निकासी की ठोस व्यवस्था नहीं होने से बारिश ने राजधानी की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया। अंडरपास व फ्लाईओवर के नीचे पानी दो से तीन फुट तक जमा हो चुका था। सामन्य मार्ग पर भी पानी की निकासी नहीं हो पा रही थी। दूसरी ओर सुबह लगभग साढ़े सात बजे नरेला की गौतम कॉलोनी में एक एमसीडी अस्पताल की दीवार ढहने एक लड़की की मौत हो गई। जलनिकासी की सुचारू व्यवस्था के लिए जिम्मेदार सीपीडब्लूडी, एनडीएमसी, एमसीडी, जल बोर्ड आदि विभागों द्वारा एक बार फिर से समस्या का कारण दूसरे विभागों के सिर मढ़ने का काम शुरू हो गया। जलभराव के कारण सभी राष्ट्रीय व राजमार्गो पर यातायात पूरी तरह से ठप रहा और वाहनों की लंबी कतारें देखने को मिलीं। पूरी दिल्ली को जोड़ने वाले 40 किमी लंबे रिंग रोड पर तो जाम का आलम यह रहा कि एक छोर से दूसरे छोर तक सिर्फ वाहनों की कतारें ही दिख रहीं थीं और राष्ट्रीय राजधानी वाहनों के वलय में घिरी रही। सबसे ज्यादा प्रभावित मार्गो में एनएस-1, एनएच-8, एनएस-24, आइटीओ चौक, विकास मार्ग, डीएनडी फ्लाईओवर, महारानी बाग, आश्रम, भोगल, मथुरा रोड, मिंटो रोड, अरबिंदों मार्ग, एमबी रोड, एमजी रोड व बीआरटी कारिडोर रहे। इसके अतिरिक्त लक्ष्मी नगर, शकरपुर, लाजपत नगर, निजामुद्दीन, सराय काले खां, डिफेंस कालोनी, मूलचंद अंडरपास, मुनिरका, जिया सराय, मोरी गेट, कश्मीरी गेट, तीस हजारी कोर्ट, पटपड़गंज, युसूफ सराय, केशव चौक आदि इलाकों में सड़कों पर कहीं घुटने तक तो कहीं कमर तक जलभराव रहा। रेल पटरियों पर पानी भरने के कारण रेल यातायात भी बुरी तरह चरमरा गया। पुरानी दिल्ली, सब्जी मंडी, किशन गंज आदि स्टेशनों पर जलभराव के कारण ट्रेनों का परिचालन बाधित रहा। हवाई यातायात में भी व्यवधान उत्पन्न हुआ और सौ से ज्यादा उड़ान प्रभावित हुई। बृहस्पतिवार की रात से ही राजधानी में बारिश होने की वजह से शुक्रवार को अधिकतम तापमान सामान्य से पांच डिग्री सेल्सियस कम रहा। आगामी 48 घंटों के दौरान राजधानी तथा आसपास के इलाकों बारिश होने की संभावना है। सड़क पर ही बन गया दफ्तर : राजधानी में जहां एक ओर हजारों लोग जाम से परेशान होकर गुस्से से लाल हो रहे थे, वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे लोग भी थे जो बरसात के बाद लगे भयंकर जाम में ही सुकून के पल ढूंढ कर बारिश और जाम का आनंद ले रहे थे। कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने सड़क को ही दफ्तर बना लिया और कार में बैठकर ही दफ्तर का कामकाज निपटाना शुरू कर दिया। आयकर अधिकारी आर. कक्कड़ आइटीओ स्थित कार्यालय आने के लिए निकले। वह करीब तीन घंटे तक जाम में फंसे रहे। फिर भी दफ्तर नहीं पहुंच सके। रिंग रोड पर जब इंतजार काफी लंबा हो गया तो जाम में फंसे होने के दौरान ही उन्होंने दफ्तर का काम शुरू कर दिया। दिल्ली हाई कोर्ट में अधिवक्ता तनुज खुराना, पंकज कपूर, मनोज शर्मा एक साथ कोर्ट के लिए निकले थे। वे भी कई किलोमीटर लंबे जाम में फंस गए। उन्हें लगा कि घंटों तक इस जाम से मुक्ति नहीं पा सकते हैं तो दोस्तों के साथ सड़क पर ही गाने गाकर बारिश का आनंद उठाना शुरू कर दिया। तनुज का कहना था कि समय से कोर्ट न पहुंचने से पैसों का तो नुकसान हो ही गया है। उस नुकसान को रोने से तो यह अच्छा है कि कुछ पल बारिश का मजा ले लिया जाए। 42 से अधिक ट्रेनें प्रभावित, तीन रद : राजधानी में शुक्रवार को हुई बारिश की वजह से पुरानी दिल्ली स्टेशन के यार्ड, सब्जी मंडी और किशनगंज के नजदीक ट्रैक में पानी भरने से करीब सात घंटे तक रेल यातायात प्रभावित रहा। पुरानी दिल्ली स्टेशन यार्ड में पानी भरने से दिल्ली-पानीपत तथा दिल्ली-रोहतक ट्रैक पर ट्रेनों की आवाजाही बंद हो गई। रेल प्रशासन ने शुक्रवार को तीन ट्रेनें रद और 18 ट्रेनों को आंशिक रूप से रद किया, जबकि 21 ट्रेनों के प्रारंभिक एवं समाप्ति स्टेशनों में बदलाव किए गए। ट्रेनों की आवाजाही बाधित होने से लाखों यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ी। बस रही खाली, पैदल ही किया सफर : बस में यात्रा करने वाले लोगों ने टिकट तो लिया, लेकिन सफर पैदल ही तय किया। थोड़ी बहुत दूरी नहीं बल्कि चार से पांच किलोमीटर तक। दरअसल दफ्तर और जरूरी कामों से जा रहे लोग जब घंटों बस में बैठे रहे और बस एक कदम भी आगे नहीं बढ़ी तब उन्हें ऐसा करना पड़ा। यही कारण था कि जाम में फंसी बसों से अधिकतर यात्री उतर गए थे और बस खाली थी। रिंग रोड पर जाम में फंसी बस के कंडेक्टर अरविंद ने बताया कि लोगों को दफ्तर, कालेज आदि के लिए देरी हो रही थी। इससे यात्री गंतव्य तक पहंुचने के लिए बीच रास्ते में बस को छोड़ कर पैदल ही निकल लेते थे। इस वजह से बसें खाली चलीं।

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