मथुरा।
यह लगातार बढ़ रहे तापमान का ही असर है कि यमुना में बह रहा नालों का पानी भी सूख रहा है, इससे आगरा की ओर जाने वाले पानी की मात्रा लगातार कम हो गयी है। यमुना का पानी तेरह दिन में करीब दो सौ क्यूसिक सूख चुका है।
आगरा जल संस्थान के काम आने वाला पानी मथुरा से ही जाता है। डेढ़ माह पहले तक गोकुल बैराज से 11 सौ क्यूसिक पानी का डिस्चार्ज नियमित रूप से हो रहा था, लेकिन पिछले पंद्रह दिन से पड़ रही भीषण गर्मी ने अब तक पचास फीसदी पानी सुखा दिया है।
यह सही है कि यमुना में नालों का पानी ही तैर रहा है। इतना पानी नालों की बदौलत ही भरा हुआ है। अन्यथा ओखला बैराज से 101 क्यूसिक पानी और हरनौल एस्केप से ढाई सौ क्यूसिक गंगाजल ही मिलता है। गंगाजल की मात्रा तो इससे भी कम हो सकती है। फिर भी कागजों में कुल साढ़े तीन सौ क्यूसिक पानी के अतिरिक्त जो मात्रा यमुना में बनी रहती है, वह उद्योगों व घरों का पानी ही है।
लेकिन पिछले तेरह दिन में यह पानी भी सूख रहा है। 47 डिग्री सेल्सियस के आसपास घूम रहे तापमान के बीच आगरा को डिस्चार्ज किए जाने वाले पानी में भारी कमी आ गयी है। इससे आगरा शहर में पेयजल संकट खड़ा हो सकता है।
बैराज से मिले आंकड़े बता रहे हैं कि 21 से 24 मई के बीच ही दो सौ क्यूसिक की कमी आ गयी है। 15 मई को बैराज से आगरा के लिए 867 क्यूसिक पानी जारी किया गया था और 21 मई तक इतनी मात्रा में ही पानी जा रहा था, पर 24 मई को कुल 694 क्यूसिक ही पानी डिस्चार्ज किया जा सका। बीते दिन 698 क्यूसिक पानी भेजा गया।
बताया गया है कि यमुना में पानी की कमी तो हो ही रही है, इस बीच बैराज पौंड के जलस्तर को भी मेंटेन करना है, इसलिए अतिरिक्त पानी ही हमेशा की तरह आगरा को डिस्चार्ज किया रहा है।
यमुना कार्ययोजना के याची गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी का कहना है कि यमुना में पानी की कमी से गंदगी सतह पर आ रही है और पानी में भारी बदबू व कीड़े तैर रहे हैं। गंगा दशहरा के स्नान के लिए जिला प्रशासन से अतिरिक्त पानी छुड़वाए जाने की मांग की गयी है।
ब्रज लाइफ लाइन वैलफेयर के संयोजक महेंद्र नाथ चतुर्वेदी का कहना है कि यमुना में पानी की वजह से बैराज लैब में क्लोरीन की ज्यादा मात्रा यूज की जा रही है। पहले की तुलना में पानी का स्वाद भी बदल गया है। ज्यादा केमिकल की मात्रा जल शोधन में प्रयोग होने से जन सामान्य का स्वास्थ्य खराब होने का खतरा बढ़ गया है
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