Monday, May 21, 2012
‘पोलिथिन नहीं, थैला प्रयोग करें’ (Dainik Jagran Yamuna Nagar 20 May 2012)
कनालसी गांव में पोलिथिन मुक्त सप्ताह संपन्न
जगाधरी, जागरण संवाद केंद्र : कनालसी गांव की यमुना जल समिति द्वारा गांव में चलाया गया पोलिथिन मुक्त सप्ताह शनिवार को संपन्न हो गया। सप्ताह के दौरान समिति सदस्यों ने विद्यार्थियों को पोलिथिन की जगह थैले प्रयोग करने पर बल दिया। विद्यार्थियों ने खुद भी पोलिथिन की जगह थैला प्रयोग करने का प्रण लिया। ग्रामीणों को भी पोलिथिन प्रयोग से होने वाली हानि के बारे में विस्तार से बताया गया। ग्रामीणों ने पोलिथिन की जगह थैला प्रयोग करने का संकल्प लिया।
विद्यार्थियों ने ग्रामीणों को संदेश दिया कि पोलिथिन की बजाए कागज के बने लिफाफे प्रयोग में लाए, ताकि पर्यावरण शुद्ध रह सके। बच्चों ने संकल्प लिया कि वह अपने घरों तथा आसपास के लोगों को पोलिथिन प्रयोग न करने की सलाह देंगे। यहां के सरकारी स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में इको क्लब के सदस्यों ने पर्यावरण बचाव के उपाय बताए। इस कार्यक्रम के तहत बच्चों ने काफी संख्या में लिफाफे तैयार किए। बच्चों ने संकल्प लिया कि वह खुद तो कागज से बने लिफाफे प्रयोग करेंगे ही साथ ही अन्य लोगों को पोलिथिन प्रयोग से होने वाली हानि बताएंगे। समिति के सदस्यों ने स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को भी पोलिथिन की हानियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। स्कूल की आठवीं कक्षा की छात्र आरती ने ग्रामीणों को बताया कि पोलिथिन हम यहां वहां फेंक देते हैं। इससे पर्यावरण को तो नुकसान हैं। साथ ही नाली में जमा हो जाती है। कोई इसे नदी में गिरा देता है। इसके कारण यमुना भी मैली होती है। यमुना में काफी मात्र में पोलिथिन गिरी देखी जा सकती है। पोलिथिन के कारण सीवरेज जाम हो जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप गंदा पानी सड़कों पर व्यर्थ बहता है। इससे राहगीरों को परेशानी होती है। पोलिथिन कभी गलती नहीं है। वर्षो बाद पोलिथिन ज्यों का त्यों बाहर निकलता है। इस लिहाज से पोलिथिन पर्यावरण के लिए हानिकारक है। आरती की बात को सुनकर महिलाओं ने पालीथिन प्रयोग न करने का वचन दिया। साथ ही कपड़े के थैले सिलने के बारे में सहमति जताई। कक्षा आठवीं के शुभम ने कहा कि प्लास्टिक का कचरा समुद्री पारिस्थितीय संरचना को तबाह करने पर आमदा है। हर वर्ष लाखों की संख्या में जल जीव मर जाते हैं।
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