Wednesday, February 16, 2011
एक्शन प्लान पूरा होने तक बचेगी यमुना! (Nav Bharat Times 2 February 2011)
नई दिल्ली।। दिल्ली जल बोर्ड के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पूरी दिल्ली के सीवेज को ट्रीट नहीं कर पा रहे हैं। इन प्लांट्स की क्षमता काफी कम है और जो सीवेज पैदा हो रहा है वह काफी ज्यादा है। यमुना नदी को साफ करने के लिए बने यमुना एक्शन प्लान के तीसरे फेज में इन ट्रीटमेंट प्लांटों की हालत सुधारनी है और नए प्लांट भी बनने हैं। लेकिन तब तक यमुना की क्या हालत होगी, इसकी कल्पना ही की जा सकती है। चूंकि तीसरा फेज पूरा होने में सात साल लगेगा और तब तक हर रोज हजारों मिलियन लीटर सीवेज बिना साफ हुए ही यमुना में जाता रहेगा। दिल्ली में जल बोर्ड के 30 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं। इनकी ट्रीटमेंट क्षमता कहने के लिए तो 2325 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) है लेकिन सरकारी दस्तावेजों से पता चलता है कि सभी ट्रीटमेंट प्लांट मिलकर 1570 एमएलडी सीवर ही ट्रीट कर पा रहे हैं। सरकारी अनुमान के मुताबिक, 2011 में दिल्ली में 3400 एमएलडी सीवेज पैदा होगा। मौजूदा प्लांट की क्षमता को देखें तो अभी ही सीवेज पैदा होने और साफ करने की क्षमता में 1075 एमएलडी का अंतर आ रहा है। यानी इतना सीवेज बिना साफ हुए ही यमुना में गिर रहा है। दिल्ली में 6500 किलोमीटर लंबी सीवर लाइनें हैं लेकिन कई जगहों पर क्षतिग्रस्त होने की वजह से सीवर ओवरफ्लो करता है। जल बोर्ड ने दिल्ली को छह ड्रेनेज जोन में बांटा है जिनमें ओखला, केशोपुर, रिठाला-रोहिणी, कोरोनेशन पिलर, शाहदरा और आउटर दिल्ली शामिल हैं। जल बोर्ड ने योजना बनाई है कि सीवेज ट्रीटमेंट क्षमता के अंतर को चरणबद्ध तरीके से भरा जाए। योजना के मुताबिक पुराने सीवेज प्लांट की क्षमता बढ़ाने के साथ ही नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट भी बनाए जाएंगे। सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक मौजूदा ट्रीटमेंट प्लांट में से कई बेहद पुराने हो चुके हैं। कई प्लांट 30 साल पुराने हैं जबकि ओखला का 136 एमएलडी का प्लांट तो 1937 में बना है। पुराने प्लांट अपनी क्षमता से आधा काम भी नहीं कर पा रहे हैं। यमुना एक्शन प्लान में यूपी, दिल्ली और हरियाणा शामिल हैं। पहला फेज अप्रैल 1993 में शुरू हुआ जो फरवरी 2003 में पूरा हुआ। इस पर 682 करोड़ रुपये खर्च हुए। दूसरा फेज 2004 में शुरू हुआ। इसकी अनुमानित लागत 624 करोड़ रुपये है। यह फेज अभी पूरा नहीं हुआ है। अनुमान है कि यह जून 2011 तक पूरा हो जाएगा। जल बोर्ड के मुताबिक एक्शन प्लान का तीसरा फेज अप्रैल 2011 से शुरू होगा। अनुमान है कि यह प्रोजेक्ट सात साल में पूरा होगा। इस पर 1749.40 करोड़ का खर्चा आएगा। इस फेज में सीवर लाइनों की हालत सुधारने के साथ ही 814 एमएलडी क्षमता के टरशरी ट्रीटमेंट प्लांट बनेंगे। इसमें ओखला में 428 एमएलडी, कोंडली में 204 एमएलडी और रिठाला में 182 एमएलडी का टरशरी ट्रीटमेंट प्लांट शामिल है। ओखला के 1937 में बने प्लांट की जगह 136 एमएलडी का नया प्लांट भी बनेगा।
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