Thursday, February 17, 2011

अंतिम सांसें गिन रही है यमुना! (Amar Ujala 16 February 2011)

शामली। यमुना नदी वेस्ट के जिलों में मृतप्राय हो चुकी है। यमुनोत्री और इलाहाबाद में यमुना का स्वास्थ्य बढ़िया है, लेकिन मुजफ्फरनगर व बागपत समेत नोएडा और दिल्ली में यमुना मृतप्राय स्थिति में है। यमुना का अस्तित्व बचाए रखने को दिल्ली की एनजीओ द्वारा किए जा रहे रिसर्च में यह तथ्य सामने आए हैं।
दिल्ली की एनजीओ पीस इंस्टीट्यूट चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ‘जीये जमुना, जीये जन जन’ के नारे के साथ यमुना बचाओ चलाया जा रहा है। इसके तहत सामुदायिक नदी स्वास्थ्य सूचकांक (पीआरएचआई) भी बनाया गया है, जिसमें अलग अलग जनपदों में यमुना के स्वास्थ्य की जांच कराई गई है। संस्था द्वारा अभियान के तहत जगह जगह ग्रामीणों को भी जोड़ा जा रहा है। कैराना क्षेत्र के गांव रामड़ा में सोमपाल सिंह की अध्यक्षता में यमुना ग्राम सेवा समिति बनाई गई है, जिसके तहत यमुना को बचाने के लिए गांव दर गांव जागरूकता रैली निकालकर यमुना के आसपास की जमीन को कब्जामुक्त कराने के साथ ही प्रदूषित पानी इसमें न जाने देने के प्रति जागरूक किया जा रहा है। रिसर्च एसोसिएट भीम सिंह रावत के अनुसार हर सौ किलोमीटर पर यमुना की स्थिति बदल जाती है। यमुनानगर में यह बीमार है, जबकि मुजफ्फरनगर, दिल्ली और ग्रेटर नोएडा में मृत है और बरसाती नदी का रूप धरे है।
आगरा में मृतप्राय है तो यमुनोत्री और इलाहाबाद के बीकर में काफी हेल्दी है। उन्होंने बताया कि इटावा में चंबल नदी के मिलने और हमीरपुर सिंध, पहुंज, कैन और बेतवा के मिलन से यह पचनदा रूप लेती है। इलाहाबाद के बाद यमुना गंगा को जीवन देती है।

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