Wednesday, January 5, 2011
यमुना की सफाई का प्रोजेक्ट फिर रुका (Navbharat Times 20 December 2010)
यमुना को साफ रखने के लिए तैयार किए गए इंटरसेप्टर सीवर प्रोजेक्ट के लिए टेंडर प्रोसेस लगातार दूसरी बार टल गई है। इस प्रोसेस को इसी महीने शुरू होना था, लेकिन अब नए साल में ही इस प्रोजेक्ट का कुछ हो पाएगा। पहले यह टेंडर प्रोसेस 15 नवंबर को होनी थी, लेकिन प्री-बिडिंग मीटिंग में कई कंपनियों ने जमकर सवाल उठाए और इस वजह से इसे टालने का फैसला करना पड़ा। हालांकि तब कहा गया था कि दिसंबर में ही इसकी बिडिंग होगी। जल बोर्ड के अधिकारी ने बताया कि बिडिंग प्रोसेस 23 दिसंबर को होनी थी, लेकिन यह तय है कि इस तारीख को यह बिडिंग नहीं हो पाएगी, क्योंकि कंपनियों के सवालों के जवाब अब तक तलाशे जा रहे हैं। कंपनियों ने कई तकनीकी और फाइनेंशल सवाल पूछे थे, जिन पर गौर किया जा रहा है। गौरतलब है कि 1358 करोड़ रुपये का यह प्रोजेक्ट यमुना को साफ रखने के लिए बनाया गया है। इसके तहत यमुना में गिरने से पहले ही सीवेज के पानी को साफ किया जाएगा। प्रोजेक्ट के तहत तीन प्रमुख नालों और सात पंपिंग स्टेशनों के साथ 59 किलोमीटर का इंटरसेप्टर बिछाया जाएगा। यमुना के प्रदूषित होने की एक बड़ी वजह यह नाले हैं। यमुना में 18 बड़े नाले गिरते हैं जो इसे 70 पर्सेंट तक प्रदूषित करते हैं। प्रोजेक्ट के पहले फेज में नजफगढ़, सप्लिमेंट्री और शाहदरा नालों से गिरने वाले सीवरेज को साफ किया जाएगा। यह प्रोजेक्ट दो साल में पूरा करने का टारगेट रखा है। टारगेट पूरा होने के बाद यमुना नदी में प्रदूषण को रोका जा सकेगा। प्रोजेक्ट के लिए हुई प्री-बिडिंग मीटिंग में करीब 25 देसी-विदेशी कंपनियों ने भाग लिया था। इस प्रोजेक्ट का जिम्मा इंजीनियरिंग इंडिया लिमिटेड संभाल रही है। कंपनियों का कहना था कि जल बोर्ड भी इस संबंध में एक मीटिंग करे। दो दिन पहले कई कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ जल बोर्ड के अधिकारियों ने मीटिंग की और उनकी कई आशंकाओं का जवाब दिया।
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