नई दिल्ली, जागरण संवाददाता : खेलगांव में बने फ्लैटों को खरीदने की चाहत रखने वालों के लिए बुरी खबर है। रुड़की सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के तकनीकी विशेषज्ञों की रिपोर्ट के खुलासे के बाद हो सकता है कि आपके होश उड़ जाएं और आप-अपनी योजना ही बदल डालें। इंस्टीट्यूट के अनुसार, दो करोड़ तक की कीमत वाले इन फ्लैटों की उम्र 20 साल से अधिक नहीं है।
खेलगांव में राष्ट्रमंडल खेल के दौरान इमारतों के बेसमेंट में रिसाव के कारण पानी भरने की समस्या सामने आई थी। काफी प्रयास के बाद भी यहां हो रहे रिसाव पर पूरी तरह रोक नहीं लगाया जा सका था। वैज्ञानिकों के अनुसार, यमुना खादर में बने निर्माण में पानी के रिसाव को नहीं रोका जा सकता है। यमुना की तलहटी में बालू है, जिस पर गहराई तक खुदाई कर इमारत व बेसमेंट बनाया जाना किसी भी सूरत में ठीक नहीं है। इस बारे में रुड़की सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के तकनीकी विशेषज्ञों ने निर्माण कार्य शुरू होने के पहले भी चेताया था। लेकिन डीडीए ने इन चेतावनियों पर ध्यान नहीं दिया।
बता दें कि ललिता पार्क में जो इमारत ढही है, उसके बेसमेंट में भी लंबे समय से पानी का रिसाव हो रहा था। यह रिसाव ही इमारत के लिए खतरनाक साबित हुआ। इस कारण इमारत की नींव कमजोर हो गई और इमारत ढह गई। कुछ ऐसा ही खेलगांव के फ्लैटों के साथ हो रहा है। इसके बेसमेंट में पानी आ रहा है, ऐसे में फ्लैटों की मजबूती प्रभावित होना स्वाभाविक है।
खास बात यह है कि यहां बनी इमारतों को दिल्ली अर्बन आर्ट कमीशन ने कंप्लीशन नहीं दी है। डीयूएसी के चेयरमैन केटीएस रवींद्रन कहते हैं कि खेल गाव के फ्लैटों के कंप्लीशन को अनुमति नहीं दी गई है। जहां तक इन फ्लैटों के निर्माण की बात है तो इसके लिए उनसे पहले के डीयूएसी अधिकारियों ने स्वीकृति दी थी।
वहीं यमुना खादर का इलाका भूकंप की दृष्टि से भी खतरनाक है। यहां 6.5 रिक्टर पैमाने की तीव्रता से भूकंप आता है तो भी बहुत नुकसान होगा। सीबीआरआई के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि यमुना के आसपास के इलाके में निर्माण नहीं होना चाहिए। यह इलाका भूकंप के खतरे की श्रेणी में आता है। उनका कहना है कि सबसे बड़ी समस्या यह है कि इन मामलों पर वे लोग निर्णय लेते हैं, जिन्हें विज्ञान से कोई लेना-देना नहीं है।
सीएजी ने डीडीए से मांगा जवाब
सीबीआईआर रिपोर्ट के आधार कॉम्पट्रोलर एंड ऑडिट जनरल (सीएजी) ने डीडीए से जवाब मांगा है। 30 दिसंबर को डीडीए को भेजे गए मेमो में कहा गया कि एक सप्ताह के भीतर वह बताए कि रिपोर्ट को नजरअंदाज करते हुए खेलगांव में निर्माण कार्य क्यों किए गए?
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